मौसम पर आधारित शिक्षा:गीली जमीन व प्लास्टिक का शामियाना बना खुले में बैठकर पढ़ते है 82 छात्र-छात्राएं, बारिश होने पर हो जाती है छुट्टी

by sadmin

जशपुरनगर: पन्नी के नीचे बैठकर शिक्षा लेते स्टूडेंट्स।
तीन साल पहले गिर गया था प्राथमिक शाला का भवन, दोबारा नहीं बना इसलिए खुले में शिक्षा लेने मजबूर हैं छात्र

तस्वीर आदम जमाने के गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था की नहीं, आज की है। महज डेढ़ फीट ऊंची मिट्‌टी की दीवार के बीच प्लास्टिक की पन्नी के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे यह बच्चे प्राथमिक शाला भलमंडा के हैं। भलमंडा झारखंड बार्डर से सटा हुआ गांव है, जो दो दशक तक नक्सल प्रभावित गांव रहा है। यहां प्राइमरी शाला के बच्चों को पढ़ाई के लिए भवन तक नसीब नहीं है। बच्चों की पढ़ाई खेती की तरह ही मौसम पर आश्रित है।

यदि मौसम खुला रहा तो इस जगह पर बैठकर बच्चे पढ़ लेते हैं, पर यदि बादल व बारिश का मौसम रहा तो बच्चे स्कूल आते हैं, मध्याह्न भोजन खाते हैं और घर लौट जाते हैं। स्कूल की दर्ज संख्या 82 बच्चों की है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग का ध्यान इस स्कूल की ओर नहीं है। प्राथमिक शाला भलमंडा का स्कूल भवन वर्ष 2013 से ही जर्जर था। रिपेयरिंग की कई बार मांग की गई पर रिपेयरिंग नहीं हो पाया।

2017 तक यहां क्लास लगी पर 2018 की बारिश में यह भवन इतना जर्जर हो गया कि यहां बच्चों को बैठाना उनकी जान को जोखिम में डालने के जैसा था। इस स्थिति को देखते हुए इस स्कूल भवन को डिस्मेंटल कर दिया। 2018 के बाद से यहां प्राथमिक के बच्चों की क्लास खुले आसमान के नीचे ही लग रही है। स्कूल में अतिरिक्त कक्ष बना है जहां दो कक्षा चौथी व पांचवीं के बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाता है।

पर पहली से तीसरी तक की बुनियादी शिक्षा गांव के बच्चे खुले आसमान के नीचे ही ले रहे हैं। स्कूल के प्रधान पाठक कलेश्वर राम का कहना है कि 2018 से ऐसे ही कक्षा का संचालन किया जा रहा है। स्कूल में पदस्थ महिला शिक्षक मिन्नी बाई के मकान को किराए पर लेकर वहां भी कक्षाएं लगाई जाती है। भास्कर की टीम ने जब मिन्नी बाई के मकान को देखा तब यह भी समझ में आ गया इस छोटे से मकान में कक्षा कैसे चलती होगी।

इस स्कूल में तीन शिक्षक प्रधानपाठक कलेश्वर राम, महिला शिक्षक मिन्नी बाई और विनोद कुमार पदस्थ हैं। प्रधानपाठक का कहना है कि करीब डेढ़ साल तक कोरोना के कारण स्कूल बंद था। इस दाैरान भी स्कूल का नया भवन नहीं बन पाया।

इधर कई स्कूल भवन खाली, कहीं एक दो बच्चे
कई स्कूल ऐसे हैं जहां एक या दो बच्चे हैं। पर उनके लिए तीन कमरों का भवन है। जशपुर के नेवारटोली में स्कूल भवन है पर यहां सिर्फ एक बच्चा है। इस स्कूल को बंद करने की प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह प्राथमिक शाला पीड़ी में सिर्फ 3 बच्चे हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए दो शिक्षक व बाउंड्रीवॉल वाला स्कूल भवन है। पर भलमंडा में इतनी अधिक संख्या में बच्चे होने के बावजूद स्कूल भवन नहीं है।

अब भी 566 भवन जर्जर और 76 अति जर्जर
राज्य शासन ने जिलों से जर्जर व अति जर्जर स्कूल भवनों की सूची मंगाई थी। इसमें जशपुर जिले में 566 स्कूल भवनों की स्थिति जर्जर है, वहीं 76 स्कूल भवन ऐसे हैं जो अति जर्जर हालत में है। मतलब ऐसे स्कूल भवनों में बच्चों को बैठाना जान को खतरे में डालने के जैसा है। कई सालों से स्कूल मरम्मत के लिए फंड जारी नहीं हुआ है। जिस कारण स्कूल भवनों की हालत खराब हो रही है।

भेजा गया है प्रस्ताव
भलमंडा सहित विकासखंड के सभी जर्जर व अति जर्जर स्कूल भवन की जानकारी भेजी गई है। भलमंडा के लिए स्कूल भवन का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। जल्द स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।”-एमजेडयू सिद्दिकी, बीईओ, जशपुर।

दिखवाता हूं
जिले में भवन विहीन एक भी स्कूल नहीं है। भलमंडा प्राथमिक शाला में व्यवस्था दिखवाता हूं।”-एसएन पंडा, डीईओ, जशपुर।

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