रुरल मार्ट के माध्यम से अपने उत्पादों के विक्रय के लिए मिल सकेगा उचित बाजार

by sadmin

-कलेक्टर ने डीएलसीसी की बैठक में नाबार्ड की रुरल मार्ट योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ अधिकाधिक हितग्राहियों तक पहुंचाने के दिये निर्देश
-बैंकों को प्राथमिकता सेक्टर में अधिकाधिक हितग्राहियों तक पहुँचने के लिए कहा

दुर्ग। रूरल मार्ट के माध्यम से आजीविकामूलक गतिविधि में जुड़े समूहों को अपने प्रोडक्ट के बाजार के लिए उचित जगह मिल पाएगी। नाबार्ड की इस योजना के माध्यम से उद्यम में लगे स्थानीय समूहों को अपने बाजार की पहुंच विस्तृत करने में विशेष तौर पर मदद मिलेगी। डीएलसीसी की बैठक में कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने नाबार्ड की योजनाओं एवं अन्य बैंकों की प्राथमिकतामूलक गतिविधियों का लाभ अधिकाधिक हितग्राहियों तक पहुँचाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रूरल मार्ट के माध्यम से अपने बाजार अपने उत्पादों को डिस्प्ले करने में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को एवं कृषि आधारित समूहों को काफी मदद मिलेगी। कलेक्टर ने बैठक में बैंकों से प्राथमिकता सेक्टर में विशेष कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि कोविड के चलते लोग आर्थिक अवसरों की तलाश में उद्यम की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में उन्हें बैंक लिंकेज की जरूरत होगी। कलेक्टर ने कहा की इन्हें बैंक लिंकेज प्रदान करने से यह लोग अपने पैरों पर खड़े होंगे और अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान करेंगे। कलेक्टर ने विभिन्न विभागीय योजनाओं में बैंक लिंकेज की स्थिति की समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल सारे टारगेट पूरे कर लिए गए थे, इस बार भी प्रगति अच्छी है तथा सारे टारगेट पूरे कर लिए जाएंगे। कलेक्टर ने कहा कि सारे प्रकरणों में संवेदनशीलता के साथ कार्य किया जाए तथा प्रकरणों का अति शीघ्र निराकरण हो ताकि लोगों को उद्यम आरंभ करने में देर न लगे। बैठक में बैंकों की तिमाही स्थिति की समीक्षा भी की गई। कलेक्टर ने कहा कि आजीविका मूलक गतिविधियों से जुड़े हुए मिशन से संबंधित टारगेट पर विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि बिहान की महिलाओं को जो बैंक लिंकेज प्रदान किया गया है। उनका शानदार नतीजा रहा है और इन्होंने न केवल ऋण चुकाया है अपितु पुनः बैंक से आगामी गतिविधियों के लिए राशि ली है और इस प्रकार से बैंकों के साख में भी वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका मूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने से न केवल इन क्षेत्रों का विकास होगा अपितु बैंकों के भी साख का विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि दुर्ग जिले में बीते 2 सालों में तेजी से स्व-सहायता समूह का गठन हुआ है और बड़ी संख्या में महिलाओं ने आजीविका मूलक गतिविधियों को आरंभ किया है। जिला प्रशासन द्वारा इन्हें प्रशिक्षण दिया गया है और इसके माध्यम से इन्होंने अच्छे उत्पाद तैयार किए हैं। इन उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए और उनके प्रमोशन के लिए इन्हें वित्त की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में बैंकिंग सेक्टर के माध्यम से इन्हें साख उपलब्ध करा कर, इन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा किया जा सकता है क्योंकि इनका बैंकिंग ट्रैक रिकॉर्ड भी शानदार रहा है। यह बैंक के सबसे अच्छे कस्टमर भी साबित होते हैं। इस मौके पर जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने कहा कि जिले के ग्रामीण विकास के लिए पिछले वर्ष बैंकिंग सेक्टर की अच्छी भागीदारी रही है और इस बार भी जो आवेदन भेजे गए हैं। उनका तीव्रता से निराकरण किया जा रहा है और हितग्राहियों को लाभ दिया जा रहा है। इस दौरान बैंक ऑफ बड़ौदा के रीजनल मैनेजर अरविंद काटकर ने भी अपने विचार रखे एवं बैंकर से संबंधित बातें बैठक में रखीं। डीएलसीसी की बैठक में लीड बैंक ऑफिसर दिलीप नायक ने भी अपनी बात रखी। इस दौरान विभिन्न विभागों के अधिकारी तथा बैंक शाखाओं के प्रबंधक मौजूद रहे।

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