मास्को । ताजिकिस्तान में नए टैंक और सैनिक भेजने वाले रूस ने चेतावनी दी है, कि मध्य एशियाई देशों के साथ लग रही अफगान सीमा पर 10 हजार से ज्यादा आईएस आतंकी मौजूद हैं। रूस ने कहा है कि इस्लामिक स्टेट ने पूरे इलाके में अपना प्रभाव बढ़ाने की घोषणा की है। रूस ने यह चेतावनी उस समय आई हैं, जब मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान में फिर से तालिबान राज आने से घबराए हुए हैं।उन्हें आतंकियों के प्रसार और हमलों का डर सता रहा है। रूस के सिक्यॉरिटी काउंसिल के डेप्युटी चेयरमैन दमित्री मेदवेदेव ने कहा, ‘खुफिया एजेंसियों का मानना है कि मध्य एशियाई देशों से लगे अफगानिस्तान के प्रांतों में 10 हजार से ज्यादा आईएसआईएस आतंकी और उनके मानने वाले मौजूद हैं। इस्लामिक स्टेट के नेतृत्व ने खुलेआम कहा है कि वे इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं।
तालिबान राज में आतंकियों की सरकार बनने के बाद मध्य एशियाई देश सहित भारत को यह डर सता रहा है कि अफगान जमीन का इस्तेमाल आतंकी उनके ऊपर हमला करने के लिए कर सकता हैं।इतना ही नहीं अतिवाद, शरणार्थियों की बाढ़, मादक पदार्थों की तस्करी और एक देश से दूसरे देश में होने वाले अपराध बढ़ सकते हैं।इस खतरे को देखकर सीआईए के चीफ विलियम बर्न्स पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे थे। उन्होंने आईएसआई चीफ से मुलाकात की थी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ जनरल फैज पिछले दिनों काबुल के विवादित दौरे पर गए थे।रिपोर्ट के मुताबिक जनरल फैज ने तालिबान को आईएसआईएस, अलकायदा, ईटीआईएम, टीटीपी, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी आदि से पड़ोसी देशों को होने वाले खतरे के प्रति आगाह किया था। रूस को डर सता रहा है, कि तालिबानी आतंकी ताजिकिस्तान के रास्ते उसके चेचेनिया जैसे अशांत इलाके में घुसकर फिर से हिंसा भड़का सकते हैं।
इस बीच ताजिक राष्ट्रपति इमोमली रहमोन ने अपने देश में कट्टरपंथियों के उभार और उनकी विचारधारा को फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कहा है। ताजिकिस्तान की अफगानिस्तान से जुड़ी सीमा करीब 1,344 किमी लंबी है। इनमें से ज्यादातर पहाड़ी सीमा है,इसमें निगरानी करना बहुत ही मुश्किल है। ताजिकिस्तान ने हजारों की तादाद में सैनिक तैनात किए हैं।
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