मुंबई। लव आज कल, फैमिली ऑफ ठाकुरगंज फेम प्रणति राय प्रकाश कॉर्टेल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी आगामी फिल्म कॉर्टेल, पेंट हाउस होगी। मॉडलिंग और अभिनय सफर आदि पर उन्होंने बात की। बातचीत के प्रमुख अंश:
मॉडलिंग से एक्टिंग और अब एक्टिंग का सफर कैसा चल रहा है?
अभिनय सफर बहुत अच्छा रहा है। अलग-अलग किरदार निभाने को मिले हैं। अब कॉर्टेल में उम्दा कलाकारों के साथ काम करने को मिला। इसका टीजर और ट्रेलर देखकर सबको अच्छा लग रहा है। इसके अलावा अर्जुन रामपाल के साथ पेंट हाउस की भी शूटिंग कंप्लीट कर चुकी हूं।
मॉडलिंग का अनुभव एक्टिंग में कितना काम आ रहा है?
मॉडलिंग का अनुभव एक्टिंग में काफी काम आ रहा है। आइ थिंक, मॉडलिंग में कैमरा फेस करने पर झिझक दूर हो जाती है, जिससे कंफर्टेबल हो जाते हैं। यह सारे अनुभव एक्टिंग में बड़ी काम आती है। दूसरे काफी फिट रहना होता है, वह भी एक्टिंग काम आती है।
कॉर्टेल में किस तरह का किरदार है। उसकी तैयारी के लिए क्या-क्या किया है?
मेरा किरदार काफी सेंसेटिव और भावुक लड़की का है। वह गैंगेस्टर फैमिली से आती है, पर उसका सपना हीरोइन बनने का है। उसे नाचने-गाने, श्रृंगार करने का शौक है। अपना काम बखूबी निभाती है। जोश से भरी और निडर होकर काम करना चाहती है। उसकी अच्छी लाइफ चल रही होती है, तभी ऐसे-ऐसे हादसे होते हैं कि उसकी वजह से टूट जाती है। वह वापस अपने आपको कैसे संभालती और बुरी पर्सनालिटी से कैसे उबरकर आगे बढ़ती है, यह मेरे कैरेक्टर का बड़ा इंटरेस्टिंग प्वाइंट है।
खुद को कैरेक्टर से कितना रिलेट करती हैं?
अपने कैरेक्टर में उन भावनाओं को खोजती हूं, जो मुझसे मिलती-जुलती हैं। मेरे कैरेक्टर को एक्टर बनना है, वह तो मैं बन गई हूं। उसे नाचने का शौक है, मुझे भी है। उसमें भोलापन और मासूमियत है, उससे भी काफी रिलेट करती हूं। हां, वह जल्दी टूट जाती है, जबकि मैं जल्दी टूटती नहीं हूं। टॉम बॉय हूं, क्योंकि बचपन में लड़कों के साथ खेलती-कूदती थी।
क्या कैरेक्टर की तरह टूटना-बिखरना और फिर आगे बढ़ने जैसा कोई वाकया आपके निजी जीवन में रहा?
मेरे ख्याल से हम सबकी जिंदगी काफी वैसी ही है। शूटिंग के समय मेरी जिंदगी में दुर्घटना हो गई थी। पिछले साल जनवरी में जब शूटिंग कर रही थी, तब घर से फोन आया कि मेरी मम्मी को कार्डियो अटैक आया और उनका देहांत हो गया। मेरे लिए यह ऐसा समय था, जब टूट सकती थी, लेकिन देहांत के दूसरे दिन शूटिंग पर आ गई। एक्टर की लाइफ में जो कठिनाई होती है, वही समझता है।
ऐसे कठिन समय में टूटने-बिखरने से खुद को कैसे संभाला और कैमरे के सामने कैसे पेश किया?
जब मम्मी गुजरी, तब कई स्टार्स के शूटिंग के बीच में थी। मेरे पास दो च्वाइस थी। एक तो दो सप्ताह की छुट्टी लेकर घर पर रहूं, जिसके लिए प्रोडक्शन मान भी गई थी। दूसरा, काम पर जाऊं। मैंने सोचा कि अगर मम्मी होती है, तब मुझे क्या करने के लिए बोलतीं! अंदर से जवाब मिला कि जाओ बेटा, काम करो। इसी सोच-विचार के साथ वापस शूट पर गई।
सुप्रिया पाठक से लेकर सभी एक्टर्स के डेट ब्लॉक थे, उसे भी देखना था। कोशिश करती थी कि और कुछ न सोचकर कैमरे के सामने अपने सीन प्ले करूं। इसमें जो रोने वाले सीन होते थे, उसमें वैसे ही रोना आ जाता था। ऐसे वक्त में इंसान डिस्टर्ब हो जाता है, पर मेरे सारे को-एक्टर और क्रू मेंबर ने काफी को-ऑपरेट किया। मुझे खुश रखने की सभी कोशिश करते थे। आर्मी बैक ग्राउंड से हूं, तो थोड़ी स्ट्रांग भी हूं।
सेट का माहौल कैसा होता था?
हमारे सीन में बड़ी लड़ाई और रोना-धोना सब कुछ होता था, इसलिए जब शूट नहीं कर रहे होते थे, तब आपस में काफी मस्ती-मजाक करते थे। मिल-जुलकर रहते थे। सबकी कॉमन रुचि म्यूजिक में रहती थी। जीतेंद्र जोशी बड़ी सुंदर कविता और गीत लिखते हैं, तो कविताएं सुनाते थे। ऋत्विक धनजानी सभी इंस्ट्रूमेंट बजा लेते थे। वे गिटार बजाकर मनोरंजन करते थे। तनुज के साथ हम क्रिकेट खेलते थे। कुल मिलाकर मिल-जुलकर हम एक परिवार की तरह रहते थे। यही वजह है कि सेट पर काफी रौनक रहती था।
पेंट हाउस की क्या स्थिति है? अर्जुन रामपाल के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
यह फिल्म इसी साल रिलीज होगी। रिलीज का इंतजार मैं भी कर रही हूं कि जल्द रिलीज डेट एनाउंस हो। मैंने इसकी शूटिंग मुंबई में की है। अर्जुन रामपाल काफी हॉट हैं। बड़े हैंडसम दिखते हैं। उनसे पहली बार मिली, तब थोड़ी नर्वस थी। लेकिन उन्होंने बहुत अच्छे से बात की, जो बहुत अच्छा लगा। हमारा सीन बहुत डिफिकल्ट था, पर कांफिडेंस के साथ काम किया और सब कुछ हो गया।