भिलाई। विगत एक सप्ताह से सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा भिलाई टाउनशिप में की जा रही जलापूर्ति अपने मानक स्तर पर आ चुकी है। टाउनशिप को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से प्रदत्त पेयजल का रंग बिल्कुल साफ हो चुका है। पानी के मटमैलापन की समस्या समाप्त हो चुकी है। विगत एक सप्ताह से पेयजल के ट्रीटमेंट हेतु नवनियुक्त कंपनी मेसर्स आयन एक्सचेंज एजेंसी द्वारा नई विधि व नए केमिकल से डोजिंग कर पेयजल को शुद्ध करने का कार्य प्रारम्भ किया गया है। इसके चलते इसके बेहतर परिणाम दिखाई देने लगे है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में प्रतिदिन किये गये जांच रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट हो गई है कि पेयजल के रंगीन होने की समस्या समाप्त हो चुकी है।
जल शोधन हेतु आधुनिक तरीके से केमिकल डोजिंग
भिलाई इस्पात संयंत्र ने मरोदा स्थित जल शोधन संयंत्र के राॅ वाटर को एलम शोधन के साथ साथ मेसर्स आयन एक्सचेंज एजेंसी द्वारा 13 अगस्त, 2021 से अपने केमिकल डोजिंग से नई विधि द्वारा उपचारित करने का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। इस विधि के तहत प्रत्येक एक घंटे में पानी की शुद्धता की जांच की जाती है और 24X7 सिस्टम की सतत निगरानी की जा रही है। आधुनिक तरीके से केमिकल डोजिंग का कार्य प्रारंभ कर दिया है। दिनांक 14 अगस्त, 2021 को पहले ही दिन के केमिकल डोजिंग से अच्छे परिणाम दिखाई दिए हैं। वर्तमान में विभिन्न मानकों की प्रतिदिन जांच की जा रही है। जिसके आंकड़े बेहद ही सुकून देने वाले साबित हुए हैं।
पानी की मूल समस्या छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा छोडे़ गए राॅ वाटर में थी। जल संसाधन विभाग द्वारा राॅ वाटर की जो आपूर्ति की गई थी उसके पानी का रंग 25 हैजन था जिसे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जलषोधन के बाद 2 हैजन तक लाया जा सका जो कि वांछित 5 हैजन के मापदण्ड के अंदर है। यही वजह है कि आज पानी का रंग एकदम साफ हो चुका है।
इसी प्रकार जल संसाधन विभाग द्वारा राॅ वाटर की जो आपूर्ति की गई थी उस पानी की टरबिडिटी 10 एनटीयू था जिसे विगत एक सप्ताह के जलशोधन के बाद 1.5 एनटीयू तक लाया गया जो कि वांछित 5 एनटीयू के मापदण्ड के अंदर है। इस प्रकार बीएसपी का पानी पीने योग्य होने के साथ-साथ रंग में भी साफ हो चुका है।
आकस्मिक जांच में भी उतरा खरा
इसी प्रकार दिनांक 19 अगस्त, 2021 को मरोदा के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में तत्कालिक आधार पर पेयजल की प्रत्येक घंटे में जांच किया गया जिसमें टरबुडिटी 0.39 एनटीयू पाया गया जो कि वांछित 5 एनटीयू के मापदण्ड के बेहद अंदर है। इसके अतिरिक्त इस पेयजल का पीएच वैल्यू की भी जांच की गई जो 7.1 पाया गया जो कि निर्धारित मापदण्ड 6.5 से 8.5 के भीतर है।
रा-वाटर में उपलब्ध इमलसीफाईड आर्गेनिक से पानी हुआ मटमैला
विदित हो कि पानी की यह समस्या छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा तांदुला से गंदे पानी के आपूर्ति की वजह से उत्पन्न हुई थी। तांदुला जलाशय से प्रदाय किया गया रा-वाटर आर्गेनिक लोड से भरपूर एवं इमलसीफाईड आर्गेनिक के रंग से युक्त था, और अत्यधिक मात्रा में एक साथ प्रदाय कर दिया गया था। उसे निर्धारित मानकों के तहत उपचारित करने में पूर्ण रूप से सफलता नहीं मिल पा रही थी।
नये विधि से जल उपचार
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के वरिष्ठ प्रबंधक वी एस राय ने नई विधि के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में टेंडर के माध्यम से केमिकल डोजिंग के माध्यम उपचारित करने का कार्य मेसर्स आयन एक्सचेंज एजेंसी को दिया गया है जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। कंपनी ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जलशोधन हेतु पूरा सेटअप का निर्माण किया है। इन्होंने डोजिंग हेतु ग्रेविटी मैथड का उपयोग न करते हुए पम्प के माध्यम से नियमित, नियंत्रित और सही मात्रा में डोजिंग की जा रही है। इनके द्वारा इस हेतु 3 प्रकार के केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है। जिसमें एक पाउडर व दो लिक्विड केमिकल शामिल हैं। पाउडर को एक ड्रम में मिक्स करके एजीटेटर चलाकर होमोजीनियस साल्यूशन तैयार किया जाता है और इसका पम्प के माध्यम से एक निश्चित मात्रा में निरन्तर डोंजिग की जाती है। इसी प्रकार दो लिक्विड केमिकल्स को भी डायल्यूट कर एजीटेट करते हुए पम्प के माध्यम से डोजिंग की जा रही है। इसके अतिरिक्त स्टीलिंग चेम्बर्स से लगे हुए वाटर चैनल में वैफल प्लेट लगाये गये हैं। जिससे पानी का रिटेंसन पिरीयड बढ़ जाता है और शुद्धिकरण में बेहतर परिणाम मिलते हैं।
पेयजल की शुद्धता पर एनएबीएल की मुहर
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपने ट्रीटेड वाटर की नेषनल एक्रेडीषन बोर्ड फाॅर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेब्रोटरीस (एनएबीएल) से प्रमाणित डिस्ट्रिक्ट वाटर टेस्टिंग लेब्रोटरी, पीएचई डीविजन, दुर्ग से भी जांच कराई लगातार तीन दिनों तक किये गये जांच में बीएसपी का पेयजल निर्धारित मानकों के भीतर पाया गया। उल्लेखनीय है कि भिलाई इस्पात संयंत्र का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सदैव ही पेयजल का शुद्ध करने में मानक प्रक्रियाओं का पालन करता आ रहा है। ज्ञात हो की स्वच्छ एवं उच्च गुणवतायुक्त राष्ट्रीय मानक के अनुसार स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता की समस्या मार्च 2021 के अंतिम सप्ताह से बना हुआ था जिसे अब पूर्णतः हल कर लिया गया है। भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति आईएसओ 10500-2012 के निर्धारित मानकों के अनुरूप की जा रही है।