भूपेश सरकार अपनी हठ छोड़कर खत्म करवाए हड़ताल- द्विवेदी
दक्षिणापथ, दुर्ग। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ रायपुर के आह्वान पर प्रदेश के सोसायटी कर्मचारी पिछले 7 दिनों से अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। प्रदेश के इन 12 हजार की संख्या में हड़ताली कर्मचारियों में समिति समिति प्रबंधक, सहायक समिति प्रबंधक, क्लर्क, कंप्यूटर ऑपरेटर, चौकीदार, सेल्समैन एवं अन्य कर्मचारी शामिल है। हड़ताल का शनिवार को आठवाँ दिन है। हड़ताल से सोसायटियो में तालाबंदी की स्थिति हैं। फलस्वरुप कामकाज व्यापक रूप से प्रभावित हो रहा हैं।जो किसानों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बना हुआ हैं। सोसायटी कर्मचारियों के हड़ताल को प्रदेश भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ ने समर्थन देते हुए उनके सभी मांगों को जायज बताया हैं और राज्य की भूपेश बघेल सरकार से सभी मांगों को पूर्ण कर सोसायटी कर्मचारियों के अलावा किसानों को राहत प्रदान करने की मांग की गई हैं। इस संबंध में प्रदेश भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने शनिवार को दुर्ग जिला भाजपा कार्यालय में मीडिया से चर्चा में कहा कि राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण रासायनिक खाद का भारी संकट बना हुआ हैं। राज्य सरकार द्वारा अभी तक हड़ताली कर्मचारियों के साथ चर्चा नहीं की गई है,जो राज्य सरकार की कर्मचारी विरोधी मानसिकता को उजागर करती हैं। आज जहां प्रदेश में किसानों के खेतों में रोपाई और बियासी का काम जोरों पर चल रहा हैं, वहीं सोसायटिओं में खाद की कमी के से किसान जूझ रहे हैं। वैसे भी सहकारी समितियों को खाद की आपूर्ति राज्य शासन द्वारा गत वर्ष की तुलना में कम की गई हैं। दूसरी ओर निजी विक्रेताओ और बिचौलियों को लाभ पहुंचाने गत वर्ष की तुलना में ज्यादा खाद दिया जा रहा हैं।जिससे किसानों को मजबूरन बाजार से ऊंचे दाम पर खाद खरीदना पड़ रहा हैं। अब चुकी कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं, तो सोसायटिओ में पूर्ण तालाबंदी के चलते किसानों को निजी विक्रेता पर ही निर्भर होना पड़ रहा हैं, किसानों को खेती किसानी के ऐन वक्त पर सोसायटी से लोन लेने की आवश्यकता पड़ती है। वह भी नहीं मिल पा रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण 31 जुलाई तक फसल बीमा कराने की अंतिम अंतिम तिथि थी, लेकिन 24 जुलाई से कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण बीमा कार्य प्रभावित हुआ है, लेकिन सरकार चर्चा करने के विषय पर मौन है और हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई हैं। प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने बताया कि कर्मचारियों की 5 सूत्रीय मांगों में धान खरीदी 31 जनवरी को समाप्त हो गई थी। उसके बाद भी शासन की गलत नीति के चलते प्रदेश के 2311 उपार्जन केंद्रों में धान कई महीनों तक परिवहन के अभाव में पढ़ा रहा। जिससे प्राकृतिक रूप से सुखत आने के कारण भारी शार्टेज आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं ।
शासन द्वारा शार्टेज का भी प्रावधान किए जाने कर्मचारियों ने मांग की है। अन्य मांगों में सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को सातवें वेतनमान हेतु वेतन अनुदान राशि दिए जाने, सहकारी कर्मचारी सेवा नियम 2018 को संशोधित कर समिति के कर्मचारियों को बैंक के रिक्त पदों में भर्ती, सेवा नियम में संशोधन, आगामी वर्ष में धान खरीदी नीति हेतु बनाई जाने वाली कमेटी में कर्मचारी संघ को शामिल कर धान खरीदी नीति में आवश्यक संशोधन करना शामिल हैं। मीडिया से चर्चा के दौरान पूर्व मंत्री रमशीला साहू, प्रदेश भाजपा मंत्री उषा टावरी, पूर्व महापौर चंद्रिका चंद्राकर, जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष माया बेलचंदन, किसान नेता लखनलाल साहू , दुर्ग जिला भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के संयोजक घनश्याम दिल्लीवार भी मौजूद थे।