कोरोना काल मे भर्राशाही, निर्माण एजेंसी की करतूतों को दबाने का प्रयास, सुधार के नाम पर खानापूर्ति!

by sadmin

दक्षिणापथ, गुंडरदेही (राजू मिश्रा)। कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक ओर जहां लोग घर में दुबक कर बैठे थे, तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के द्वारा किए जा रहे कार्य में भर्राशाही की जा रही थी। कोरोना काल में शासकीय दफ्तर भी बंद थे शायद इसी का फायदा उठाकर निर्माण एजेंसी द्वारा कार्यों में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा था।
दरअसल झींका से घिना गांव तक लगभग 7.60 किमी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना विभाग की ओर से सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है। 12 जनवरी 2021 से कार्य शुरू होकर 22 जनवरी 2022 तक पूरा किया जाना है। सड़क निर्माण के लिए 394. 26 लाख रुपये की राशि शासन ने स्वीकृत की है ताकि सड़क निर्माण होने से लोगों को काफी सुविधा हो । लेकिन नियम कायदों को दरकिनार कर गुणवत्ता में हेरफेर करते हुए निर्माण एजेंसी ने लाखों रुपए की लागत से 6 पुल का निर्माण किया।

खबर प्रकाशन के बाद खानापूर्ति
कुछ दिन पहले पीएमजीएसवाई विभाग की ओर से कराए जा रहे इस निर्माण कार्य मे ठेकेदार की काली करतुतों को उजागर किया था। जिसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने भ्रष्टाचार को दबाने के लिए 6 में से केवल एक पुल को आधा अधूरा तोड़ा गया जबकि 5 पुलों पर एक इंच की सीमेंट की परत चढ़ाकर भ्रष्टाचार को ढकने का प्रयास किया गया।

उठने लगे सवाल?
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जिम्मेदारों की कार्यशैली पर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। अगर निर्माण कार्य में वाकई निर्माण एजेंसी द्वारा लापरवाही की गई थी तो महज औपचारिकता पूरी करते हुए एक पुल को ही क्यों तोड़ा गया जबकि सभी पुलों का निर्माण गुणवत्ता को ताक में रखकर किया गया था। बहरहाल इस पूरे मामले पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के एसडीओ प्रयाग दीक्षित और कार्यपालन अभियंता बलवंत पटेल ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

गुणवत्ताहीन मटेरियल का किया गया उपयोग
ग्रामीणों ने बताया कि पुल निर्माण में गुणवत्ता को दरकिनार किया गया है, नियम कायदों को ताक में रखकर निर्माण कार्य किया गया है ताकि शासन की राशि का दुरुपयोग किया जा सके। बताया जा रहा है कि सीमेंट कम और डीएसटी वाले पत्थर का उपयोग उक्त निर्माण कार्य मे किया गया है और निर्माण होने के बाद पानी तक नहीं डाली गई है।

Related Articles