राज्य में सबसे अधिक दर से बिजली का बिल देने वाले किसानों को कोई सुविधा नहीं
बिजली के नये टैरीफ के लिये आयोग की जनसुनवाई में किसान संगठन ने सरकार पर साधा निशाना
दक्षिणापथ, दुर्ग ।सीएसपीडीसीएल की टैरिफ याचिका पर जनसुनवाई में भाग लेते हुए छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन ने बघेल सरकार पर जमकर निशाना साधा। संगठन के एड. राजकुमार गुप्त ने कहा कि किसान घरेलू और औद्योगिक से अधिक दरों पर किसान बिजली बिल का भुगतान करते हैं इसके बाद भी घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं की तुलना में कंपनी किसानों को कोई सुविधा नहीं देती है, पूरे 24 घंटे बिजली किसानों के लिये सपना है सिंचाई पंपों को लगातार 3-4 घंटे भी निरंतर विद्युत आपूर्ति नहीं होती बिजली की गुणवत्ता भी निम्न है, कम वोल्टेज की समस्या हमेशा रहती है और अक्सर एक फेस में बिजली आपूर्ति बंद रहती है, ब्रेक डाऊन होने पर 5-6 दिन तक सुधार नहीं किया जाता।
सीएसपीडीसीएल की याचिका का विरोध करते हुए एड. राजकुमार गुप्त ने कहा कि कंपनी ने 2300 करोड़ रूपये का घाटा तो बताया है किंतु याचिका में यह नहीं दर्शाया है कि किस श्रेणी के उपभोक्ता की टैरिफ में कितनी वृद्धि करके कंपनी अपना घाटा पूरे करना चाहती है, इसका स्पष्ट प्रस्ताव प्रस्तुत करना कंपनी और सरकार का दायित्व है, किस श्रेणी की दरों में कितनी वृद्धि करना है यह सरकार ने नियामक आयोग पर छोड़ दिया है, सरकार आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर उपभोक्ताओं पर निशाना साध रही है ताकि टैरिफ वृद्धि के कारण पैदा होने वाले जन असंतोष से सरकार बच जाये और जिम्मेदारी का ठीकरा आयोग के सिर फोड़ सके, उन्होंने आयोग से आग्रह किया कि बिजली अधिनियम की धारा 62(3) के प्रावधान के अनुसार विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं के बीच भेद न करे और जो भी बढ़ा भार हो सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं में समान बांटे किस श्रेणी के उपभोक्ता को कितना राहत या बोझ देना है इसका दायित्व सरकार को दिया जाना चाहिये,जन सुनवाई में संगठन के अध्यक्ष आई के वर्मा ने भी किसानों का पक्ष रखा ।