दक्षिणापथ. हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती, ये बात जोधपुर की आशा कंडारा पर बिल्कुल सही साबित होती है. जोधपुर नगर निगम में स्वीपर की नौकरी करके अपनी आजीविका चलाने वाली जोधपुर की ये लड़की अब यहां की RAS अफसर बनने जा रही है. नगर निगम की सफाईकर्मी के हौसले की उड़ान की कहानी आपको भी बहुत कुछ सिखाएगी.नगर निगम में सफाई कर्मचारी से RAS अफसर बनी इस महिला की कहानी, जानिए कैसे इस लड़की ने अपने हौसले से कामयाबी की इबारत लिखी है.…
संघर्षों से भरी हुई थी आशा की जिंदगी
आशा की शादी 1997 में हुई थी, उनका एक बेटा ऋषभ और एक बेटी पल्लवी है. शादी के पांच साल बाद घरेलू झगड़ों के चलते आशा का तलाक हो गया था.आशा की ज़िंदगी इतनी आसान नहीं थी. आठ साल पहले ही पति से झगड़े के बाद दो बच्चों के पालनपोषण की ज़िम्मेदारी भी आशा पर ही आ गई थी. नगर निगम में झाड़ू लगाती थी. मगर सफ़ाई कर्मचारी के रूप में नियमित नियुक्ति नहीं मिल पा रही थी. इसके लिए इसने 2 सालों तक नगर निगम से लड़ाई लड़ीं .
पहले सफाई कर्मचारी भर्ती परीक्षा की पास
आशा ने साल 2016 में स्नातक की डिग्री पूरी की थी. फिर सफाई कर्मचारी भर्ती परीक्षा का एग्जाम दिया. उस समय आरएएस का रिजल्ट नहीं आया था. आरएएस एग्जाम के 12 दिन बाद ही आशा को सफाई कर्मचारी पद पर नियुक्ति मिल गई थी.आशा कंडारा ने कहा कि नगर निगम में काम करने के दौरान वे अफसरों के काम करने के तरीके को अक्सर देखा करती थी और यहीं से उनके मन में भी अफसर बनने का जुनून पैदा हुआ. स्नातक पूरा करने के बाद उन्होंने आरएएस की तैयारी शुरू कर दी.
जोधपुर नगर निगम में झाड़ू लगाने वाली सफाईकर्मी आशा कण्डारा ने यह कर दिखाया है. वो नगर निगम में झाड़ू लगाने के साथ साथ खाली वक्त में किताबें लेकर बैठ जाती थी. सड़क किनारे ,सीढ़ियों पर जहां भी वक़्त मिलता था, पढ़ाई शुरू हो जाती थी. आज इन्हीं किताबों के जादू ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी है. राजस्थान प्रशासनिक सेवा में आर एस 2018 में आशा का चयन अब हो गया है.अब वो अनुसूचित वर्ग से SDM के पद पर काबिज होंगी. आशा अब आरएएस अफसर बन गई हैं. आशा की कहानी कई महिलाओं के लिए एक मिसाल है. आशा के पिता राजेंद्र कंडारा लेखा सेवा से रिटायर हो चुके हैं. आशा आरएएस अफसर बनने से पहले झाडू लगाने का काम करती थी.
राजस्थान की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा आरएएस परीक्षा- 2018 का अंतिम परिणाम आ गया है. इस बार कुछ ऐसे भी अभ्यर्थी ने सफलता पाई है जो कि दूसरे युवाओं एवं युवतियों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे हैं.उनमें से एक हैं जोधपुर की सफाईकर्मी आशा कंडारा जिन्होंने मुश्किल हालात में भी इस कठिन परीक्षा को पास कर विवाहित और तलाकशुदा महिला के लिए मिसाल बनकर उभरी हैं.आईएएस अवनीश शरण ने उनकी सफलता की कहानी शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा कि कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.
सोशल मीडिया पर लोग आशा को बधाई देने के साथ-साथ उनकी हिम्मत को भी लोग सलाम कर रहे हैं.अकेले अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारी निभाना थोड़ा मुश्किल जरूर था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारीं और संघर्ष जारी रखा.कुछ दिन बाद उनकी मेहनत रंग लाई और आरएएस परीक्षा पास कर सफलता का परचम लहरा दिया.आईएएस अवनीश शरण से लेकर कई लोगों ने सोशल मीडिया और व्यक्तिगत रूप से आशा को बधाई दी.