माओवादियों के गढ़ बस्तर-सुकमा में अचानक क्यों फूट गया कोरोना बम? छत्तीसगढ़ के 40 फीसदी मरीज इसी इलाके में हैं एक्टिव, बस्तर, सुकमा और बीजापुर में मिल रहे सबसे ज्यादा मरीज

by sadmin

दक्षिणापथ.रायपुर
बस्तर के इलाके में इन दिनों सिर्फ नक्सली ही समस्या नहीं हैं। माओवादियों और मासूमों पर कोविड-19 भी (Covid-19 Cases In Bastar Sukma) कहर बरपा रहा है। आदिवासियों के गढ़ में कोविड संक्रमण खतरनाक तरीके से पैर पसार रहा है, इसमें नक्सली प्रभावित सुकमा और बीजापुर (Maoists Stronghold) सबसे ऊपर है।

इससे भी खराब स्थिति यह है कि वायरस की तेजी के अनुसार इलाके में टीकाकरण नहीं हो रहा है। अधिकारियों कहना है कि नक्सली और रिमोट एरियाज भी इस इलाके में टीकाकरण के लिए बाधा है, लेकिन टीकों की कमी भी चिंता का विषय है। रविवार को छत्तीसगढ़ में 188 नए मामले सामने आए थे, इनमें से 70 (37 फीसदी) दक्षिण बस्तर के थे। केंद्र ने एम्स रायपुर से एक टीम मामलों में उछाल की जांच करने और इससे निपटने के तरीके खोजने के लिए भेजा है।

सोमवार को पूरे छत्तीसगढ़ में 297 नए मरीज मिले हैं। इनमें बस्तर में 34, सुकमा में 35 और बीजापुर में 24 मरीज मिले हैं। ये सभी इलाके नक्सल प्रभावित हैं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी सबसे ज्यादा एक्टिव केस सुकमा 525 हैं। बस्तर में 241 और बीजापुर में 472 एक्टिवस केस हैं।

छत्तीसगढ़ के एक्टिव केसों में 40 फीसदी केस बस्तर संभाग के सात जिलों के हैं। सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार सुकमा में सबसे ज्यादा मरीज हैं। उसके बाद बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, कोंडागांव और नारायपुरर है। कोरोना संक्रमण से बस्तर संभाग में करीब 668 लोगों की मौत अब तक हुई है। बस्तर में ज्यादातर मौतें पिछले कुछ महीनों में हुई है।

कोरोना ने इस दौर में माओवादियों पर भी जोरदार प्रहार किया है। पुलिस ने कहा कि नक्सलियों के केंद्रीय कमिटी के सदस्य हरिभूषण और उनकी पत्नी समेत कई नेताओं की मौत कोविड की वजह से हुई है।

अब बस्तर संभाग में एक बार फिर से टीकाकरण की रफ्तार तेज हुई है। बस्तर संभाग में 23.4 लाख आबादी है, इनमें से 1.7 लाख लोगों को पूरी तरह से टीका लगा दिया गया है। वहीं, 7.6 लाख लोगों को पहला डोज लग गया है। इससे पता चलता है कि वैक्सीनेशन में तेजी आ रही है। संभाग के संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक डॉ आनंदराम गोट ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प में तीन आदिवासी पुरुषों की हत्या के खिलाफ हजारों ग्रामीणों की तरफ से 15 मई को विरोध प्रदर्शन किया गया, इसके बाद कोविड के मामले बढ़ने लगे।

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