दक्षिणापथ. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बड़जात्या, प्रदेश एमएसएमई प्रभारी मोहम्मद अली हिरानी, प्रदेश मीड़िया प्रभारी संजय चौबे, अमर कोटवानी, आशीष निमजे, दर्शन लाल ठकवानी, रवि केवलतानी, सुनील जैन, सुधीर खंडेलवाल, प्रहलाद कश्यप, अनिल बल्लेवार, अरविंद खंडेलवाल ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भारत के विवादास्पद ई-कॉमर्स व्यापार के लिए प्रस्तावित नियमों के मसौदे के जारी होने से देश का ई कॉमर्स व्यापार एक नए परिवेश में बदल जाएगा जिसमें विदेशी धन से चलने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए अब नियम एवं नीतियों को अपने हिसाब से हेर फेर करने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। हालांकि नियमों के पूर्ण पालन हेतु एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है जी कानूनों और नियमों का पूरी तरह से अक्षरशरू पालन को सुनिचश्चित कर सके । ये कहना है प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कैट विदेशी फंड से चलने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा चली जा रही अनैतिक व्यापार प्रथाओं के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन एक लम्बे समय से चला रहा है। इन परिवर्तनों को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री पीयूष गोयल को बधाई देते हुए दोनों व्यापारी नेताओ ने कहा कि देश भर के व्यापारिक समुदाय महसूस कर रहा है कि उन्हें आखिरकार बहुप्रतीक्षित ष्न्यायष् दिया गया है।
कैट के संजय चौबे ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग सरकार के इस कदम को एक ष्संरक्षणवादी कदमष् कहेंगे, जो सरासर बेबुनियाद है क्योंकि हर देश को अपने व्यापार के माहौल के आधार पर कानून और नियम बनाने का अधिकार है और चूंकि भारत में ई-कॉमर्स शैशव लेकिन तेजी से बढ़ता व्यापार है इसलिए सख्त नियम और उनका अक्षरशरू पालन होना जरूरी है खासकर जब भारत दुनिया की सबसे बड़ी उपभोक्ता अर्थव्यवस्था है।
संजय चौबे एवम रूंगटा ने कहा कि संशोधित नियम भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे। भारत में वर्ष 2021 में लगभग 84 बिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार का अनुमान है। संशोधित नियम ई-कॉमर्स में कुछ बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे जो न केवल ई-कॉमर्स व्यापार को साफ करेगा बल्कि कई ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने मौजूदा व्यापार प्रारूप को बदलने के लिए मजबूर भी करेगा। एक बार नियम लागू हो जाने के बाद देश भर के व्यापारी अपनी ई-दुकान खोलने के लिए अधिक इच्छुक होंगे और दूसरी ओर यह उपभोक्ताओं के बीच विश्वास पैदा करेगा। इसी कड़ी में संजय चौबे ने कहा कि समय के साथ, भारत दुनिया भर में एक उच्च संभावित ई-कॉमर्स बाजार के रूप में उभरा है। अनुमान है कि 2027 तक भारतीय ई-कॉमर्स का बाजार का आकार 200 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में उच्च वृद्धि के साथ सस्ता इंटरनेट प्रदान करना, लोगों द्वारा स्मार्टफोन का अधिक उपयोग जैसे कई महत्वपूर्ण कारण हैं जिन्होंने भारत में डिजिटल व्यवसाय के विकास में योगदान दिया है।
कैट के मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने कहा कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से माल की आपूर्ति या सेवाएं प्रदान करने से संबंधित सभी प्रकार की ई-कॉमर्स गतिविधियां नियमों के दायरे में होंगी। न केवल सामान बल्कि यहां तक कि टिकट, यात्रा, घरेलू सेवाएं आदि जैसी सेवाएं जो ऑनलाइन द्वारा की जाती हैं सभी नियमों के दायरे में होंगी। फ्लैश बिक्री को सीमित करना, उपयोगकर्ताओं द्वारा शिकायत करने के लिए एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान, नियमों और नीति के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए एक मुख्य अनुपालन अधिकारी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए एक नोडल संपर्क व्यक्ति, आयातित माल की पहचान उनका मूल देश, माल की रैंकिंग, ई-कॉमर्स कंपनियों को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन का भागीदार बनाना, कीमतों में हेराफेरी पर रोक, सर्च इंजनों द्वारा खोज परिणामों में हेराफेरी करना, कुछ ऐसे अनूठे प्रावधान हैं जो भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय परिचालन के एक परिभाषित मानक निर्धारित करेंगे।
संजय चौबे एवम प्रहलाद रूंगटा ने आगे कहा कि जब नियम लागू होंगे तो नकदी उड़ाने की अनैतिक प्रथा पर रोक लगेगी और विक्रेताओं को सबसे नैतिक और पारदर्शी तरीके से व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। संबंधित उद्यमों को बाजार में विक्रेताओं के रूप में सूचीबद्ध करने पर रोक लगाना और किसी भी संबद्ध इकाई द्वारा माल की बिक्री पर प्रतिबंधित करना एक बड़ा कदम है और पसंदीदा विक्रेताओं को खत्म करना जो वर्तमान में कुछ वैश्विक कंपनियों द्वारा प्रमुखता से उपयोग किया जा रहा है को समाप्त करेंगी। संजय चौबे ने कहा की कुल मिलाकर सरकार ने ई-कॉमर्स बाजार को विश्वसनीय बनाने के लिए कुछ मजबूत और ठोस कदम उठाए हैं और देश भर के व्यापारिक समुदाय इन नियमों का स्वागत करते हैं।