प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जमकर भ्रष्टाचार !

by sadmin

छत्तीसगढ़ किस प्रकार भ्रष्टाचार का गढ़ बनता जा रहा है, कि सब कुछ ठेकेदार के भरोसे छोड़ कर सरकारी अफसर निश्चिंत हो कर अपनी रिश्वत की कमाई खाते बैठे हैं और लगातार शिकायतें होने के बावजूद हिलने डुलने तक को तैयार नहीं….
दक्षिणापथ,सिकोसा ( राजू मिश्रा ) ।
भारत सरकार ने 25 दिसम्बर 2000 को प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की थी । इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को 500 या इससे अधिक आबादी वाले (पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रो में 250 लोगों की आबादी वाले गांव) सड़क सम्पर्क से वंचित गांवों को बारहमासी सड़कों से जोडऩा है । पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित ग्रामीण सड़को में उचित तटबन्ध और जल निकासी होनी चाहिये । ये सोच सरकार सड़क का निर्माण करवाती है। इसके लिए विशेष रूप से ट्रेनिंग करा कर इंजीनयर तैयार किये ।पर अब सब नियम आदि को पानी में मिट्टी मिलाए जैसे कर अधिकारी/ ठेकेदार अपने विकास के लिए काम कर रहे हैं। ऐसा चर्चा का विषय बना हुआ है कि यह सड़क बनाकर ग्रामीण विकास की बजाय स्वयं का ही विकास कर रहे हैं। ठेकेदार और अधिकारी की मिली भगत से स्टीमेट में कुछ और कार्य स्थल पर कुछ और ही खाना पूर्ति कर जनता का अधिकार छीन परेशानी में डाल रहे हैं। गांव के अंदर सड़क, नाली जो बना रहे हैं, उससे उन्हें बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ेगा, जिसका किसी को अहसास तक नही है। लोग स्वयं विचार कर मौन साध लेते हैं क्योंकि उनकी पीड़ा का औरों को अहसास ही नही है। गुण्डरदेही इलाके का भी वही हाल ठेकेदार भ्रष्टाचार कर रहा है, सरकार, कार से नहीं उतरती।

गुण्डरदेही ब्लॉक के प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रही सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। झीका से परना,धीना लंबाई 7.60 किलोमीटर कार्य का प्रारंभ करने की तिथि 12 जनवरी 20 21, लागत 3 करोड़ 94 लाख 26 हजार, ठेकेदार एम एस सी कटहरे, कार्यपालन अभियंता बी एस पटेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास योजना की सड़क का निर्माण मानक के आधार पर नहीं किया जा रहा। ठेकेदार कटहरे ने सात किलोमीटर सड़क पर 6 पुल का निर्माण किया । इस रोड का पुल अभी से भरभराना शुरू हो गया है। जिसमें 20 एम एम गिट्टी का उपयोग पुल बनाने में किया जाता है, लेकिन इन्होंने 40 एम एम गिट्टी का उपयोग किया। यह गिट्टी सिर्फ डब्लु बी एम रोड बनाने के पहले मुरुम बिछाने के बाद डालने में किया जाता है । ठेकेदार ने रेत, सीमेन्ट की मात्रा में भी बहुत घालमेल किया है। पुल में पानी का छिड़काव (क्यूरिंग) भी सही ढंग से नहीं किया है। पुल अभी से भरभराना शुरु हो गया है। ठेकेदार ने मुख्य रुप से अपना मुनाफा बढ़ाने भ्रष्टाचार की चरम सीमा को पार कर दिया है।

डायवर्सन रोड नहीं बनाया-
रोड बनाने के पहले डायवर्सन बनाने के लिए भी राशि का आवंटन किया जाता है, लेकिन यहां पहले पुल पुलिया बनाया गया। ठेकेदार के द्वारा डायवर्सन रोड का निर्माण करना था, जो रोड बनने के पहले डायवर्सन रोड द्वारा ग्रामीणों को आवागमन में सुविधा हो सके। शासन के द्वारा निर्माण कार्य प्रारंभ होने से पहले डायवर्सन रोड बनाने की प्रक्रिया तय रहती है लेकिन इस रोड पर दर्जनों पुल पुलिया का निर्माण किया गया है लेकिन कहीं पर भी एक भी डायवर्सन रोड का निर्माण नहीं किया गया। हल्की सी बरसात के कारण ग्रामीणों को 12 किलोमीटर दूरी कर जाना पड़ रहा है। अगर ठेकेदार के द्वारा डायवर्सन रोड का निर्माण किया जाता तो इस लंबी दूरी को तय करना नहीं पड़ता । उक्त ठेकेदार नियम को ताक पर रखकर रोड का निर्माण करा रहा है। नियम के आधार पर सड़क निर्माण के लिए प्रथम चरण में 20-20 सेंटीमीटर में दो लेयर में मुरुम डालना अनिवार्य है। दो परत के मुरुम को पानी मारकर रोलर से दबाये जाने का भी प्रावधान है। मानक के आधार पर ठेकेदार की ओर से मुरुम नहीं डाला गया है। राहगीर ग्रामीणों ने बताया कि यह ठेकेदार बस्तर या जंगल क्षेत्र में काम किया है ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है, क्योंकि इनका हर कार्य स्तरहीन लग रहा है। आसपास से सिर्फ मिट्टी ही डाली जा रही है। ग्रामीणों के विरोध के बाद भी न तो रोलर चलाया जा रहा, न ही मानक के आधार पर सड़क को बनाया जा रहा है। ग्रामीणों ने सड़क को मानक के आधार पर बनाने की बात कही तो ठेकेदार मनमानी पर उतर आया। इस संबंध में ग्रामीणों से जानकारी ली गयी तो पता चला कि पुल का निर्माण लॉकडाउन के समय किया । पुल पर पानी नही डाला क्योंकि उसमें सीमेंट तो था ही नहीं। सीमेन्ट की जगह पत्थर के डस्ट का उपयोग किया। गिट्टी पत्थर निम्न स्तर का कुरदी खदान का डाला गया है। बनते ही पुल के बाहर गिट्टी पत्थर बहकर आ गया था ।

इसी प्रकार सड़क निर्माण पूरी तरह से खराब घटिया स्तर का होना बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों से इस संबंध में बात करने की कोशिश की गयी तो वे कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुए। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि जिन अधिकारियों की मॉनिटरिंग में सडक़ का निर्माण कराया जाना है, वह मौके पर ही नहीं रह रहे हैं।सरकारी स्टैंडर्ड ( निर्धारित मानकों ) की खुलेआम धज्जियां अधिकारियों की जानबूझ कर की जा रही अनदेखी से उड़ायी जा रही हैं। बहरहाल पुल पुलिया का घटिया निर्माण, सड़क पर अभी मुरुम का लेयर ही पड़ा है, जो प्रथम चरण के निर्माण में ही अपनी गुणवत्ता की पोल खोल रहा है।
जिला पंचायत सदस्य पुष्पेंद्र चंद्राकर व मोंटी यादव ने कहा कि – ग्रामीणों की ओर से सड़क, पुल आदि के गुणवत्ता विहीन निर्माण की शिकायत आई है। जहां काम हो रहा है, वहां भारी अनियमितताएं हैं, नियमों का उल्लंघन कर पुल-पुलिया का निर्माण किया गया है। इस गुणवत्ता विहीन निर्माण की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग क्षेत्र के लोग अवश्य करेंगे। देखना दिलचस्प होगा कि ठेकेदार की मनमानी पर सरकार लगाम लगाती है अथवा उसके आगे आत्मसमर्पण करती है ? जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।

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