–मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के अंतर्गत 7.80 करोड़ की राशि का किया ऑनलाइन अंतरण
-सभी गौठानों में चारागाह विकसित करने के निर्देश
-डीएपी एवं यूरिया का बेहतर और सस्ता विकल्प है वर्मी और सुपर कम्पोस्ट
दक्षिणापथ,रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खरीफ फसलों की सुरक्षा और पशुओं को वर्षा ऋतु में होने वाली गलघोटू और एकटंगिया बीमारी से बचाने के लिए गत वर्ष भांति इस वर्ष भी आगामी एक जुलाई से राज्य में रोका छेका अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं। सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में निर्मित शत-प्रतिशत गौठानों को क्रियाशील बनाने के लिए गौठान समितियों का गठन करने तथा गौठानों में चारागाह के लिए सुरक्षित भूमि में इस वर्ष अनिवार्य रूप से चारागाह विकसित करने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालक गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को राशि अंतरण के कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर एक जून से 15 जून तक गौठानों में क्रय किए गोबर की राशि सहित गौठान समितियों एवं स्व-सहायता समूहों को लाभांश के रूप में कुल 7 करोड़ 80 लाख रूपए की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया। गोधन न्याय योजना के तहत अब तक गोबर विक्रेताओं को 96.64 करोड़ तथा गौठान समितियों एवं स्व-सहायता समूहों को लाभांश के रूप 17.55 करोड़ रूपए इस प्रकार कुल 114.19 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। कार्यक्रम में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि गोधन न्याय योजना हमारी ऐसी योजना है, जिसका लाभ सालभर के भीतर ही इस योजना के हितग्राहियों सहित समाज को मिलने लगा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत क्रियाशील गौठानों मंे से 20 फीसद गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। योजना के तहत व्यय की गई राशि अब लौटने लगी है। गोबर खरीदी से पशुपालकों को सीधा लाभ मिलने लगा है। वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट सहित गोबर से अन्य सामग्री के निर्माण से महिला समूहों को रोजगार और लाभ होने लगा है। वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट की उपलब्धता और उनके उपयोग से किसानों को लाभ, जैविक खेती को बढ़ावा मिलने से विष रहित खाद्यान्न का उत्पादन होगा। इसका फायदा समाज के सभी लोगों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में निर्मित शत-प्रतिशत गौठानों को सक्रिय किया जाना जरूरी है। उन्होंने राज्य के उन गौठानों में जहां गौठान समितियों का गठन नहीं हुआ है, वहां प्रभारी मंत्रियों को जिला प्रशासन के समन्वय से एक सप्ताह के भीतर गौठान समिति की गठन की प्रक्रिया पूरी करने को कहा। निष्क्रिय गौठान समितियों के पुनर्गठन के भी निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान समितियों के पास पर्याप्त राशि उपलब्ध है, जिसका उपयोग गौठानों के संधारण के लिए किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीफ सीजन के लिए राज्य की आवश्यकतानुरूप रासायनिक उर्वरक, डीएपी और यूरिया की आपूर्ति भारत सरकार नहीं कर रही है। इसकी पूर्ति राज्य के गौठानों में निर्मित वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट से की जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने गौठानों में चारागाह के लिए सुरक्षित भूमि में नेपियर घास सहित मक्का, ज्वार, बाजरा आदि की बुवाई इस साल अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे पशुओं के हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। पशुधन स्वस्थ होेंगे और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को रोजाना सवा तीन लाख लीटर दूध की आवश्यकता है, जबकि राज्य में 85 हजार लीटर दूध उत्पादित होता है। दूध की लगभग 4 गुना कमी है। इसकी पूर्ति के लिए पशुपालन को बढ़ावा, पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन और चारे का बेहतर प्रबंध करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सुपोषित हो, आवश्यकतानुरूप शुद्ध दूध एवं दुग्ध सामग्री लोगों को उपलब्ध हो, यह हमारी कोशिश होनी चाहिए।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके लाभ के बारे में अब लोगों को बताने की जरूरत नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि गोबर खरीदी और इससे निर्मित होने वाले वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट के फायदे को किसान समझने लगे हैं। स्वच्छ भारत मिशन के संबंध में गठित लोकसभा की कमेटी ने भी छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना को सराहा है। इस योजना के तहत क्रय किए जाने वाले गोबर से वर्मी खाद और सुपर कम्पोस्ट खाद बनाने के काम में जुटी महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि गौठानों में अब तक 5 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन हुआ है, जिसमें 2 लाख 75 हजार क्विंटल खाद की बिक्री हो चुकी है। 6 लाख क्विंटल वर्मी और सुपर कम्पोस्ट खाद तैयार होने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि रोका छेका अभियान शुरू होते ही गौठानों में गोबर की आवक बढ़ जाएगी। राज्य में स्वीकृत शत-प्रतिशत गौठानों के सक्रिय होते ही वर्मी और सुपर कम्पोस्ट का उत्पाद दोगुना हो जाएगा, जिसका लाभ गोबर विक्रेताओं सहित स्व-सहायता समूह और गौठान समितियों सहित पूरे प्रदेश को मिलेगा।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता ने गोधन न्याय योजना की प्रगति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 10 हजार 57 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। जिसमें से 5820 गौठानों सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। गोधन न्याय योजना से राज्य के एक लाख 70 हजार पशुपालकों को अब तक 96.64 करोड़ रूपए का भुगतान गोबर खरीदी के एवज में किया जा चुका है। इस योजना का फायदा 75 हजार भूमिहीन परिवारों को भी मिल रहा है। गौठानों में उत्पादित 11 करोड़ रूपए की वर्मी कम्पोस्ट समितियों को विक्रय के लिए उपलब्ध कराई गई है।
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