दक्षिणापथ, पत्थलगांव। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जशपुर जिले में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, डुमरबहार का माननीय कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल के निर्देश से निदेशक विस्तार सेवाएं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, डॉ. एस. सी. मुखर्जी के द्वारा निरिक्षण किया गया । कृषि विज्ञान केंद्र से लाभान्वित हो रही समूह की महिलाओं द्वारा डॉ. एस. सी. मुखर्जी का स्वागत लोक गीत द्वारा किया गया । तत्पश्चात कृषि विज्ञान केंद्र के फार्म एवं फार्म में विभिन्न योजनाओं द्वारा संचालित हो रही गतिविधियों का निरीक्षण करते हुए डॉ. एस. सी. मुखर्जी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों कर्मचारियों एवं मजदूरों के मेहनत से यह हो पाया है की गर्मी का दिन होते हुए भी चारों ओर फार्म में हरियाली है। लुडेग की स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पाद जैसे टमाटर पाउडर , मुनगा पाउडर, मशरूम पाउडर, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर, साबुन, सर्फ तथा वंजन – खजूर लडडू, कटहल चिप्स, मूंग पापड़, टमाटर हलवा का अवलोकन करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र महिला किसानों के साथ बहुत अच्छा कार्य कर रही है ।
पत्थलगांव ब्लॉक के ग्राम – गाला निवासी श्री देव कुमार पटेल द्वारा काम लागत में स्वनिर्मित मक्का छिलाई यंत्र एवं अंडे सेने की मशीन का निरीक्षण करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को उनके मशीन को बढ़ावा देने के लिए निर्देशित किया । इसके पश्चात कांसाबेल विकासखंड के ग्राम बटईकेला में अनुसूचित जनजाति उपयोजना अंतर्गत आदिवासी कृषकों के आय उपार्जन एवं आजीविका में सुधार के लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्रदाय की गई बटेर पालन, कड़कनाथ पालन, मातृ वाटिका एवं मिनी राइस मील इकाई का निरीक्षण किया गया ।इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर अंतर्गत निदेशक विस्तार सेवाएॅं डाॅ. एस.सी. मुखर्जी द्वारा 21 जून को कृषि विज्ञान केन्द्र स्थित प्रक्षेत्र में खरिफ ऋतू हेतु की गई तैयारियों का अवलोकन तथा केन्द्र में चल रही विभिन्न योजनाओं का निरिक्षण भी किया गया जिसमें डाॅ. संदीप शर्मा वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के.वी.के. मैनपाठ, केन्द्र प्रमुख डाॅ. राकेश भगत विरिष्ठ वैज्ञानिक एवं समस्त स्टाफ उपस्थित रहे। निदेशक डाॅ. मुखर्जी के आगमन पर स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा उनके स्वागत हेतु जशपुरिहा स्वागत गीत गायन किया गया ।
प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान केन्द्र में फलोद्यान के साथ-साथ धान के खेतों में हरी खाद हेतु लगाई गई ढेंचा फसल एवं अन्य गतिविधियों की प्रशंसा की गई साथ ही जिले के कृषको के लिए यह संदेश भी दिये की जशपुर की हल्की भूमि में हरिखाद की आवश्यकता है तथा धान्य फसल के अलावा फल, फूल वाली फसलों को लगाने एवं उनमें सब्जी, मसाले वाली एवं दलहनी, तिलहनी वाले फसलें अंतरवर्ती फसल लेने की सलाह दी गई । साथ ही केन्द्र पर निरिक्षण के दौरान बटेर पालन ईकाई का उद्घाटन किया गया तत्पश्चात् गोठान ग्राम बटईकेला में आदिवासी उपयोजना अन्तर्गत सुगन्धित धान प्रसंस्करण हेतु मिनी राईस मिल, बटेर पालन इकाई का भी निरिक्षण किया गया एवं मातृवाटिका में पौध रापण कर समूह की महिलाओं को सम्बोधित करते हुए केन्द्र से जुड़कर अपने आजीविका में सुधार करने आदि के बारे में बताया गया ।केन्द्र में भ्रमण के दौरान सुलेमा महिला स्वसहायता समूह लुड़ेग के द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से निर्मित विभिन्न उत्पाद जैसे आचार, पापड़, छिंदकांस टोकरी, टमाटर, हल्दी, धनिया, मुनगा एवं मशरूम पाउडर टमाटर हलवा, कटहल चिप्स, खजूर लड्डू इत्यादि की प्रसंशा किया गया एवं उचित बाजार व्यवस्था हेतु जागरूक रहने तथा कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क बनाए रखने हेतु सुझाव दिया गया इसी तारतम्य में देवकुमार पटेल द्वारा भी स्वनिर्मित अनुपयोगी चीजों से बनाई गई विद्युत चलित मक्का छिलाई यंत्र का प्रदर्शन किया गया जिसकी भी प्रशंसा की गई साथ ही पटेल द्वारा स्वनिर्मित अण्डे सेने की मशीन का भी प्रदर्शनी लगाई गई जिसे केन्द्र पर उपस्थित कृषकों द्वारा अवलोकन किया गया ।