बार -बार लिखने के बाद भी 6 महीने से स्वास्थ्य मंत्री और आईसीएमआर से कोई जवाब नहीं
दक्षिणापथ, रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चैंबे बताया कि कोरोना के कारण सरकार के मंत्रीयों और स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण सरकारी विभागों पर काम का बोझ इतना ज्यादा है की यदि राष्ट्रीय स्तर की महतवपूर्ण संस्था कोरोना से निपटने के लिए सरकार की मदद करने के उद्देश्य से कोई तार्किक जानकारी माँगे तो भी किसी के पास इतनी फुरसत नहीं है की 6 महीने में अनेक बार याद दिलाने के बावजूद भी मंत्री और सम्बंधित संस्थान जानकारी दे नहीं पा रहे हैं। जबकि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। यह मामला है ये जानकारी लेने का की क्या करेंसी नोटों के करिए कोरोना फैलता है। कैट ने आज एक बार फिर डॉक्टर हर्षवर्धन से इस बारे में स्पष्टीकरण देने का आग्रह किया है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया की कन्फेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने 9 मार्च 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को एक पत्र भेजकर पूछा था की क्या कोरोना करेंसी नोटों के जरिए फैल सकता है वहीं 18 मार्च, 2020 को कैट ने एक अन्य पत्र इंडियन काऊसिंल आॅफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव को पत्र भेज कर यही सवाल उनसे भी किया था लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी इतने महत्वपूर्ण सवाल जो न केवल देश के करोड़ों व्यापारियों बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा ही नहीं बल्कि कोरोना काल में जिसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है, का जवाब किसी ने देना उचित नहीं समझा। इसी बीच कई बार स्वास्थ्य मंत्री तथा आईसीएमआर को याद दिलाया किंतु कैट को आज तक उत्तर का इंतजार है ।
ज्ञातव्य है की देश में अनेक जगह और विदेशों में अनेक देशों में इस विषय पर अनेक अध्ययन रिपोर्ट में यह साबित हुआ है की करेन्सी नोटों के द्वारा किसी भी प्रकार का संक्रमण तेजी से फैलता हैं। क्योंकि नोटों की सतह सूखी होने के कारण किसी भी प्रकार का वाइरस या बैकटेरिया लम्बे समय तक उस पर रह सकता हैं और क्योंकि करेंसी नोटों का लेन-देन बड़ी मात्रा में अनेक अनजान लोगों के बीच होता है तो इस सृंखला में कौन व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है यह पता ही नहीं चलता और इस कारण से करेंसी नोटों के द्वारा संक्रमण जल्दी होने की आशंका रहती है । भारत में नकद का प्रचलन बहुत ज्यादा है और इस दृष्टि से व्यापारियों को इससे बहुत अधिक खतरा हैं क्योंकि देश के 130 करोड़ लोग अपनी जरूरतों की चीजें व्यापारियों से ही अधिकांश रूप से नकद में खरीदते हैं।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, जर्नल ऑफ करेंट माइक्रो बायोलोजी एंड ऐपलायड साइयन्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मा एंड बायो साइयन्स, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवॉन्स रिसर्च आदि ने भी अपनी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है की करेन्सी नोट के जरिए संक्रमण होता है । इस दृष्टि से कोरोना काल में करेन्सी का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना जरूरी है । लेकिन इस मामले पर सरकार की चुप्पी बेहद आश्चर्यजनक है । कैट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से मांग की है की वो मामले की गंभीरता को देखते हुए यह स्पष्ट करें की क्या करेंसी नोटों के जरिये कोरोना अथवा अन्य वाइरस या बैक्टेरिया फैलता है अथवा नहीं।
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