दक्षिणापथ, धरमजयगढ़/ रायगढ(सरोज श्रीवास)। अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी(वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 नियम 2008 संशोधित अधिनियम 2012,वैसे तो यह कानून बने 14 साल हो गए लेकिन छत्तीसगढ़ के अधिकांश छेत्र में आज तक वन भूमि पर काबिज ग्रामीणों को अपना वन भूमि अधिकार पत्रक नहीं मिल पाया है।बीते दिनों इसी विषय को लेकर रायगढ़ जिले में जल जंगल जमीन एवं पर्यावरण बचाओ आंदोलन चला रहे राजेश सिंह मरकाम एवं उनके संगठन के द्वारा तमनार एवम लैलूंगा ब्लाक में लगातार ग्रामीणों के बीच उनके अधिकारों के लिए संवैधानिक अधिकार यात्रा के तहत जन जागृति की गई।और जब वन विभाग एवं निचले स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को निवेदन करने पश्चात ग्रामीणों को उनका अधिकार ना मिलने पर उस यात्रा को व्यापक तौर से जन आंदोलन का रूप दिया गया।और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बैनर तले जिला कलेक्टर रायगढ़ का घेराव कर जिला कलेक्टर को अवगत कराया गया। उसके बाद जिले के संवेदनशील कलेक्टर भीम सिंह के द्वारा स्वयं तमनार क्षेत्र के मीलूपारा गांव में दौरा कर दावा कर रहे ग्रामीणों के बीच जाकर मौका का जांच किया गया। और पाया गया कि काफी लंबे समय से ग्रामीण वन भूमि पर कब्जा कास्त कर कृषि कार्य करते आ रहे थे।जिसको लेकर कलेक्टर के द्वारा तत्काल डीएफओ को आदेशित किया गया और तमनार ब्लाक की 21 गांव तथा लैलूंगा ब्लाक के 24 गांव के ग्रामीणों को तत्काल वन अधिकार पत्रक दिए जाने हेतु लिखित आदेश किया गया। ऐसे ही मामले पर धरमजयगढ़ ब्लॉक के ग्रामीणों ने नेतृत्व कर रहे राजेश सिंह मरकाम को संपर्क साधा।सूचना पाते ही राजेश सिंह मरकाम ग्रामीणों के बीच पहुंचे और उन्हें वन भूमि अधिकार मान्यता कानून की जानकारी देकर जन आंदोलन करने वन अधिकार पत्र दिलाने आश्वासन देते हुए ग्रामीणों से रूबरू हुए।
ग्रामीणों को वन अधिकार पत्रक दिलाने अपने संगठन के साथ ग्रामीणों के बीच पहुंचे राजेश सिंह मरकाम
by sadmin
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