-जिला प्रशासन व निगम प्रबंधन के मौन रहने पर उठे सवाल
दक्षिणापथ, दुर्ग। कसारीडीह सिविल लाइन स्थिति मां सतरुपा शीतला मंदिर के तालाबपार में आस्था के आड़ में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा का बड़ा खेला चल रहा है। इन अवैध कार्यों में लिप्त कुछ लोगों द्वारा मंदिर परिसर के सामने दुर्ग प्रेस क्लब भवन के लिए आरक्षित भूमि पर भी कब्जा के प्रयास से बाज नहीं आए, लेकिन समय रहते प्रेस क्लब ने सीमांकन करवा कर अपनी भूमि को सुरक्षित कर लिया। सीमांकन के दौरान मौके पर पहुंचे आरआई नीलू सिंह, पटवारी एवं दुर्ग प्रेस क्लब के पदाधिकारियो व सदस्यों ने देखा कि भूमि पर कब्जा के लिए कुछ लोगों द्वारा महिला समृद्धि बाजार के दीवाल से सटाकर छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा का निर्माण करवाया गया है। उसके सामने की भूमि पर कब्जा के लिए 15 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण कर दिया गया है। कब्जेधारी तत्वों द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा निर्माण करवाना केवल लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना प्रतीत होता है।
इन तत्वों की नियत अब जग जाहिर हो गई है। यह मामला तो केवल दुर्ग प्रेस क्लब भवन के लिए आरक्षित भूमि का है, लेकिन शीतला मंदिर तालाबपार की सरकारी भूमि अवैध कब्जों से पट गई है। जिला प्रशासन व निगम प्रबंधन इस अवैध कब्जे व निर्माण को कब खाली करवाएगी। यह बड़ा सवाल बना हुआ है। स्थानीय लोगों ने दुर्ग प्रेस क्लब के सदस्यों को बताया कि शीतला मंदिर तालाबपार में कुछ लोगों द्वारा पहले भगवान शंकरजी की प्रतिमा का निर्माण करवाया गया, फिर बारह ज्योर्तिलिंग की प्रतिमा निर्माण करवा कर तालाब पार के एक बड़े हिस्से की घेराबंदी की गई। नगर निगम द्वारा पूर्व में तालाबपार में लाखों रुपए खर्च कर सौंदर्यीकरण कार्य करवाया गया था, लेकिन यह सौंदर्यीकरण कार्य अवैध कब्जे व निर्माण की वजह से व्यर्थ हो गया है।
इसके अलावा सरकारी भूमि पर यहां निगम के बगैर अनुमति के हालनुमा एक बिल्डिंग निर्माणाधीन है। लोग आस्था के नाम पर यहां राशि दान करते है। यह सब निर्माण कार्य दान की राशि से की जा रही है। लेकिन निर्माण कार्य में कब्जेधारियों का केवल अपना नीजि स्वार्थ छिपा हुआ है। इसलिए दान की राशि की इन लोगों द्वारा बंदरबाट किए जाने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। बहरहाल यह जांच का विषय है, लेकिन इन कब्जाधारी तत्वों के अवैध कब्जा व बगैर अनुमति के निर्माण कार्यो के कृत्य से जिला प्रशासन व नगर निगम प्रबंधन को राजस्व की बड़ी हानि हो रही है।
बावजूद इन अवैध निर्माण के खिलाफ जिला प्रशासन व नगर निगम प्रबंधन चुप क्यों है। यह उनके कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़े कर रही है। इसके लेकर क्षेत्र के लोगों में आक्रोश का माहौल भी बना हुआ है।