लंदन। देश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनेका की वैक्सीन को भी आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अनुमति दी गई है। देश में वैक्सीन प्रोग्राम शुरू भी हो चुका है। ऐसे में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से की गई स्टडी में पता चला है कि वैक्सी का केवल एक डोज ही वायरस ट्रांसमिशन को 67 फीसदी तक कम कर देता है। वहीं, यह वैक्सीन वायरस को फैलने से रोकने में भी बड़ी भूमिका निभा रही है। यूनिवर्सिटी की तरफ से दी गई इस जानकारी को ब्रिटेन सरकार ने अच्छी खबर बताया है। क्योंकि वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए प्रसार पर वैक्सीन का असरदार होना बेहद जरूरी है। स्टडी में लिखा है ‘डेटा दिखाता है कि आबादी में संक्रमितों की संख्या कम कर वैक्सीन वायरस के फैलने पर असर डाल सकती है।
स्टडी में यह भी बताया गया है कि दो डोज के बीच 3 महीनों का गैप भी असरदार साबित हुआ है। वैक्सीन का एक डोज से भी 22 से 90 दिनों के बीच 76 फीसदी तक प्रभावकारिता देखी गई है। इसका मतलब है पहले और दूसरे डोज में आने वाले 3 महीनों के गैप से सुरक्षा कम नहीं होती है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा है ‘ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के बारे में यह खबर बहुत अच्छी है। ट्रांसमिशन में दो-तिहाई तक कमी, डोज में 12 हफ्तों के फर्क से बेहतरीन सुरक्षा और अस्पताल में भर्ती न होने की बात। यह वैक्सीन काम कर रही और अच्छा काम कर रही है।’ स्टडी में पाया गया है कि वैक्सीन का सिंगल डोज टीका लगाने के बाद 90 दिनों तक कोविड-19 से सुरक्षित रखने में 76 प्रतिशत तक असरदार है। चीफ इनवेस्टिगेटर और ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल के सह लेखक प्रोफेसर एंड्र्यू पोलार्ड ने कहा ‘यह नया उस अंतरिम डेटा का जरूरी सत्यापन देता है, जिसका इस्तेमाल एमएचआरए और ईएमए समेत 25 से ज्यादा रेग्युलेटर्स ने वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति के लिए किया था।
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