दुर्ग / सड़क हादसों में किसी की मृत्यु/घायल होने पर मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत मुआवजे का अधिकार एक उपाय है। राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में आज 4 फरवरी से 7 फरवरी तक पुलगांव चैक दुर्ग में जागरूकता अभियान प्रारंभ की गई। आज प्रथम दिन दोपहिया वाहनों के विरुद्ध कार्यवाही की गई। जागरूकता कार्यक्रम में श्रीमती मधु तिवारी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश और श्रीमती गरिमा शर्मा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उपस्थित होकर बताया कि मानवीय पीड़ा और निजी छती को धन में बराबर रखना असंभव है। हालांकि यह वही है जिसे करने का आदेश कानून अदालतों को देता है। अदालत को मुआवजा दिलाने के लिए विवेकपूर्ण प्रयास करना पड़ता है ताकि पीड़ित के नुकसान की भरपाई हो सके। सड़क हादसों के कुछ महत्वपूर्ण कारण ओवर स्पीडिंग, शराब पीकर वाहन चलाना, यातायात नियमों का पालन न करने से ऐसे बहुत से कारण हैं। किसी को दुर्भाग्य से किसी एक्सीडेंट का सामना हो जाने पर मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत मुआवजे का अधिकार एक उपाय है दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु होने की स्थिति में मृतक के वारिसान द्वारा कोर्ट में पेश किया जा सकता है।
मोटर वाहन अधिनियम 1988- मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 166 के अनुसार मुआवजे का दावा किया जा सकता है। जिस व्यक्ति की चोट आई है, क्षतिग्रस्त संपत्ति के मालिक द्वारा, दुर्घटना में मारे गए मृतक के सभी या किसी भी कानून प्रतिनिधि द्वारा, घायल व्यक्ति के विधिवत अधिकृत एजेंट द्वारा या दुर्घटना में मारे गए मृतकों के सभी या किसी भी कानूनी प्रतिनिधि द्वारा दावा याचिका दायर की जा सकती है। दावा अधिकरण को उस क्षेत्र पर क्षेत्राधिकार होना जिसमें दुर्घटना हुई या स्थानीय सीमाओं के भीतर दावा अधिकरण को किस के अधिकार क्षेत्र में दावेदार रहता है या व्यवसाय पर किया जाता है या जिस के अधिकार क्षेत्र की स्थानीय सीमाओं के भीतर प्रतिवादी रहता है।
दस्तावेज याचिका के साथ होना चाहिए- दुर्घटना के संबंध में दर्ज प्राथमिकता की प्रतिलिपि यदि कोई हो, एमएलसी/पोस्टमार्टम रिपोर्ट/मृत्यु रिपोर्ट की प्रति जैसा कि मामला हो सकता है। मौत के मामले में दावेदारों और मृतकों की पहचान के दस्तावेज, उपचार रिकॉर्ड के साथ उपचार पर किए गए खर्च के मूल बिल, मृतक की शैक्षिक योग्यता के दस्तावेज यदि कोई हो, विकलांगता प्रमाण पत्र यदि पहले से ही प्राप्त किया जाता है तो चोट के मामले में, मृतक/घायल की आय का प्रमाण, पीड़ित की उम्र के बारे में दस्तावेज, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी का कवर नोट यदि कोई हो, मृतकों के साथ दावेदारों के संबंधों का ब्यौरा देने वाला हलफनामा । कोर्ट को मुआवजे का मूल्यांकन करते हुए छति की मात्रा और क्षति से हुई हानि का ध्यान में रखा जाता है।
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