दुर्ग/ पशुधन विकास विभाग के माध्यम से महामण्डलेश्वर राजेश्री डाॅ. महंत रामसुन्दर दास जी अध्यक्षता में जिला पशु क्रूरता निवारण समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक में अध्यक्ष ने कहा कि नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के माध्यम से गौसेवा का रास्ता खुला है। उन्होंने कहा कि पशुओं पर क्रूरता की लगातार मॉनिटरिंग हो।इस योजना के क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी प्रत्येक समय सीमा बैठक में रखी जाना चाहिए तथा क्रियान्वयन किया जाना चाहिये। स्कूलों में इससे संबंधित निबंध प्रतियोगिता कराकर बच्चों को पशु संबंधी जानकारी देकर तथा इस संबंध में आम जनता को प्रेरित करना चाहिये। घुमंतु पशुओं की देखरेख के लिये आम जनता को गौ सेवा के लिए प्रेरित किया जाना चाहिये।
अध्यक्ष ने प्रशासन से गौ अभ्यारण्य बनाने की बात कही, ताकि घुमंतु पशुओं को वहीं पर छोड़ा जा सके। इसके लिए जिले के सीमावर्ती इलाके में 50 एकड़ भूमि का चिन्हांकन किया जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि मृत पशुओं का अंतिम संस्कार सम्मानपूर्वक किया जाना चाहिये, इसके लिए मुक्तिधाम बनाने को कहा हैं । साथ ही मुक्ति धाम के लिए भी जगह चिन्हांकित किये जाने के निर्देश दिये ।
बैठक में पशुओ के लिए बने प्रावधानों की जानकारी दी। जैसे पशु के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960, छत्तीसगढ़ कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004, का उल्लघंन करता है या ऐसे अपराध जैसे पशुओं का वध, दौड़ाकर थका देना, शारीरिक यंत्रणा देने और रोगी पशु से काम लेने के लिए दंड का प्रावधान है। दंड का प्रावधान जुर्माना या कारावास से या दोनों से दंडनीय होगा। छत्तीसगढ़ राज्य देश का पहला राज्य है जहां कृषक पशु परिरक्षण अधिनयम 2004 को समस्त गौवंशीय एवं भैस वंशीय जैसे सभी आयु के गायें, बैल, भैसों के वध पर पूर्ण रुप से प्रतिबन्ध लगाने हेतु लागू किया गया है। बैठक में अपर कलेक्टर बीबी पंचभाई, पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. चन्द्रप्रकाश मिश्रा उपस्थित थे।
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