रायपुर। हरेली त्यौहार में छत्तीसगढ़ व्यंजनों से महक उठा है मुख्यमंत्री निवास। आगन्तुकों के त्योहार में स्वागत के लिए खास तौर पर ठेठरी, खुरमी, पीडिया, गुलगुला भजिया, चीला जैसे पकवान बनाए जा रहे हैं।
हरेली तिहार का आरंभ सावन महीने की अमावस्या से होता है। यह त्योहार मानसून के मौसम के आगमन का प्रतीक है, जो खेती के लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है। हरेली का त्यौहार का संबंध कृषि से जुड़ा है इस दिन खेतों में बोनी पूर्ण होने के बाद अच्छी फसल की आस में कृषि यंत्रों की पूजा की जाती है।
हरेली त्यौहार में स्वच्छता का भी महत्व है गांवों में विशेष सफाई और सजावट की जाती है। घरों के आंगनों और खेतों में नीम के पत्तों, आम की पत्तियों और गोबर से अल्पना बनाई जाती है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ में हरेली का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
गांव में बच्चे त्योहारों को आनंद गेड़ी चढ़कर लेते हैं। बच्चे से लेकर बूढ़े तक गेड़ी दौड़ में शामिल होते हैं। इस दिन खेती-किसानी में सहयोग देने वाले पशुओं विशेष रूप से गाय, बैल की पूजा की भी पूजा की जाती है। घरों में इस दिन छत्तीसगढ़ी पकवान बनाए जाते हैं।
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