सेलफोन की रौशनी में बस्तर और भानपुरी के अस्पतालों में ईलाज

by sadmin

बस्तर, ShorGul.news । स्वास्थ्य के क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के सरकारी दावे बस्तर के धरातल पर धाराशाई होते नजर आ रहे हैं। आदिवासी बहुल जिलों में सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है, मगर स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मामले में बस्तर जिले का हाल बेहाल है। बस्तर जिले के सिविल हॉस्पिटल भानपुरी एवं बस्तर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बिजली गुल हो जाने पर जब अंधेरा छा जाता है, तब मोबाइल फोन की रोशनी के सहारे मरीजों का उपचार करने की मजबूरी आन पड़ती है। दरअसल इन दोनों हॉस्पिटलों में जनरेटर की व्यवस्था नहीं है। क्रेडा द्वारा सौर ऊर्जा चलित लाइट की व्यवस्था जरूर की गई है, लेकिन खराबी के कारण वह भी नहीं जल रही है।
आदिवासी बहुल बस्तर संभाग के जिला मुख्यालयों में जरूर स्वास्थ्य सेवा बेहतर है, मगर ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
सोलर पैनल में आई खराबी
भानपुरी और बस्तर तहसील मुख्यालय और पचासों गांवों के प्रमुख केंद्र हैं। इस लिहाज से इन दोनों स्थानों के सरकारी अस्पतालों पर इन पचासों गांवों के हजारों ग्रामीणों की निर्भरता है। इन दोनों अस्पतालों में पोर्टेबल जनरेटर तक की व्यवस्था शासन ने नहीं की है।क्रेडा द्वारा सौर ऊर्जा चलित बिजली की व्यवस्था अस्पतालों में की गईं है, लेकिन यह व्यवस्था भी फिजूल साबित हो रही है। सोलर पैनल्स, बैटरी और अन्य उपकरणों में तकनीकी खराबी आ गई है। इस खराबी को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। नतीजतन सौर ऊर्जा की बिजली का लाभ भी इन अस्पतालों को नहीं मिल पा रहा है।

क्रेडा से कर चुके हैं शिकायत
जब बिजली गुल हो जाती है, तब इमरजेंसी लाइट की मदद से काम निपटाते हैं। बस्तर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, भानपुरी तथा अन्य स्थानों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सोलर लाइट व्यवस्था में खराबी है, बस्तर अस्पताल में बैटरी की प्रॉब्लम है। इस संबंध में क्रेडा के अधिकारियों और सीएमएचओ को अवगत करा चुके हैं।
डॉ. शांडिल्य
खंड चिकित्सा अधिकारी, बस्तर

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