नई दिल्ली, ShorGul.news । सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B ministry) ने झूठी खबरें प्रसारित करने को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 6 यू-ट्यूब चैनलों को बैन कर दिया है। जिन चैनल्स पर प्रतिबंध लगाया गया है, उन पर झूठ फैलाने का आरोप है। सरकार का कहना है कि इन चैनलों के लगभग 20 लाख सब्सक्राइबर थे और उनके वीडियो पर 51 करोड़ से अधिक व्यूज थे। वहीं पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने भी बैन किए गए यू-ट्यूब चैनलों को लेकर फर्जी खबरों का पर्दाफाश किया था। इसके बाद भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इन्हें बैन करने का कदम उठाया है। बता दें कि प्रतिबंधित हुए चैनलों के वीडियो में लोकसभा, राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू , ईवीएम, सुप्रीम कोर्ट, अमित शाह- नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह से संबंधित फर्जी खबरों को प्रसारित किया गया था। इसका फैक्ट चैक करते हुए इन्हें फर्जी बताया गया था। इसके बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए इनपर बैन लगाया है।
इन चैनलों पर लगाया गया प्रतिबंध
केंद्र सरकार की तरफ से जिन चैनलों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें नेशन टीवी, संवाद, सरोकार भारत, नेशन 24, स्वर्णिम भारत, संवाद समाचार शामिल हैं। वहीं इन चैनलों की सब्सक्राइबर की बात करें तो नेशन टीवी के 5.57 लाख, संवाद टीवी के 10.9 लाख, संवाद समाचार के 3.48 लाख, सरोकार भारत के 21.1 हजार, नेशन 24 के 25.4 हजार, स्वर्णिम भारत के 6.07 हजार सब्सक्राइबर थे। संवाद टीवी को लेकर पीआईबी फैक्ट चेक का कहना है कि इस यू-ट्यूब चैनल पर भारत सरकार और केंद्र सरकार के मंत्रियों के खिलाफ झूठी खबरें फैलाई जा रही थी। मंत्रालय का कहना है कि चैनल फर्जी, क्लिकबेट और सनसनीखेज Thumbnail और टीवी चैनलों के एंकरों के फोटो लगाकर फर्जी खबरें फैलाई जा रही थीं। बता दें कि इससे पहले मंत्रालय ने इसी तरह से तीन YouTube चैनलों पर कार्रवाई की थी और फर्जी खबरें फैलाने को लेकर उनपर बैन लगाया था।
रिपोर्टिंग पर सवाल उठाए थे Ministry of Information and Broadcasting ने
Ministry of Information and Broadcasting ने कहा था कि टेलीविजन चैनलों ने लोगों के शवों और चारों ओर खून के छींटे, घायल व्यक्तियों के चित्र/वीडियो दिखाए हैं। इसके साथ ही महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित लोगों को बेरहमी से पीटते हुए वीडियो भी दिखाए, जिसमें पीड़ित रो रहे हैं, बच्चे को पीटा जा रहा है। मंत्रालय ने कहा था कि ऐसे वीडियो और छवियों पर सावधानी बरतने की जगह इनको लंबे शॉट्स के रूप में दिखाया गया और भयानक बना दिया गया। घटनाओं की रिपोर्टिंग का तरीका दर्शकों के लिए बेहद परेशान करने वाला है। एडवाइजरी में विभिन्न श्रोताओं पर इस तरह की रिपोर्टिंग के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया था। इसमें कहा गया था कि ऐसी खबरों का बच्चों पर विपरीत मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ सकता है। यह निजता के हनन का एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी है, जो संभावित रूप से निंदनीय और हानिकारक हो सकता है। साथ ही कहा गया था कि टेलीविज़न एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसको घर, परिवार में लोग एक साथ बैठकर देखते हैं।
मंत्रालय ने कहा था कि ज्यादातर मामलों में वीडियो सोशल मीडिया से लिए जा रहे हैं और प्रोग्राम कोड के अनुपालन और निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए संपादकीय और संशोधनों के बिना प्रसारित किए जा रहे हैं। मंत्रालय ने हाल में प्रसारित सामग्री के उदाहरणों की सूची भी जारी की थी जो प्रमुख निम्नानुसार थींः-
- 30 दिसंबर 2022 को दुर्घटना में घायल हुए क्रिकेटर की दर्दनाक तस्वीरें और वीडियो बिना धुंधला किए दिखाया गया।
- 28 अगस्त 2022 को शव को घसीटते हुए एक आदमी का परेशान करने वाला फुटेज दिखाया गया, जिसके चारों ओर खून के छींटे पड़े हुए हैं।
- 6 जुलाई 2022 को बिहार की राजधानी पटना के एक कोचिंग क्लासरूप में एक शिक्षक को 5 साल के बच्चे को बेरहमी से पिटाई करते तब तक दिखाया गया, जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया। क्लिप को म्यूट किए बिना चलाया गया था, जिसमें दया की भीख मांगते बच्चे की दर्दनाक चीखें सुनी जा सकती हैं। इसे 9 मिनट से अधिक समय तक दिखाया गया था।
- 4 जून 2022 को बिना धुंधला किए एक पंजाबी गायक के शव की दर्दनाक तस्वीरों को दिखाया गया।
ये भी कहा था
इस तरह के प्रसारण पर चिंता जताते हुए और इसमें शामिल व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए और बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित टेलीविजन चैनलों के दर्शकों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने सभी निजी टेलीविजन चैनलों को दृढ़ता से सलाह दी थी कि वे अपने सिस्टम और रिपोर्टिंग घटनाओं की प्रथाओं को ध्यान में रखें।