नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने कहा कि भारतीय और चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग क्षेत्र में पेट्रोलिंग पिलर (15) से वापस आना शुरू कर दिया है। दोनों देशों की सेनाएं अप्रैल 2020 से इलाके में टकराव की स्थिति में हैं। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया है कि 8 सितंबर को, भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में बनी आम सहमति के अनुसार, गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों ने समन्वित और नियोजित तरीके से हटना शुरू कर दिया है। दोनों देशों के मुताबिक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए यह एक अनुकूल कदम है। रिपोर्ट के मुताबिक 16वीं कोर कमांडर स्तर की वार्ता इस साल 17 जुलाई को भारत की ओर स्थित चुशुल-मोल्दो सीमा पर हुई थी। पीपी 15 में पीछे हटने के साथ, दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग त्सो, पीपी 14, पीपी 15 और पीपी 17ए से अब हट चुकी हैं, जहां पहले संघर्ष की स्थित बनी हुई थी। हालांकि, सीमा से संबंधित अन्य विवादास्पद मुद्दे अभी भी दोनों देशों के बीच बने हुए हैं और चीनी सेना ने अभी भी देपसांग मैदानों और चारडिंग नाला क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय बलों के पारंपरिक गश्त क्षेत्रों तक पहुंच को अवरूद्ध कर दिया है।
यह महत्वपूर्ण फैसला अगले सप्ताह उज्बेकिस्तान में होने वाली बैठक से पहले आया है, जहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग लेने की उम्मीद है। तनाव दूर करने के प्रयासों पर दोनों देशों ने कहा कि इस कदम से सीमा पर शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी। हालांकि इस साल अप्रैल में जब चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा किया था तब भी चीन ने भी पूर्वी लद्दाख में गलवान के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट 15 से सैनिकों को हटाने के बारे में भारत को एक प्रस्ताव भेजा था। गौरतलब है कि प्रस्ताव को भारत ने उचित विचार के बाद अस्वीकार कर दिया था।
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