नई दिल्ली । लद्दाख के सीमाई इलाके में लगातार फाइटर जेट भेज रहे चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने अपनी रणनीतिक तैयारी तेज कर दी है। भारत अगले दो से तीन माह में अपने दूसरे एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को चीन की सीमा पर सक्रिय कर देगा। एस-400 की तैनाती से भारतीय वायुसेना चीन के फाइटर जेट, रणनीतिक बाम्बर, मिसाइलों और ड्रोन विमानों की न केवल बहुत दूर से पहचान कर सकेगी, बल्कि उन्हें पलक झपकते ही तबाह कर सकेगी। भारत ने अपनी सामरिक रणनीति के तहत इस एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को पश्चिमोत्तर सीमा पर तैनात किया है। रूसी एस-400 मिसाइल सिस्टम से भारतीय दुश्मनों की चिंताएं बढ़ गई है। इसके पीछे मकसद यह है कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही ओर से किए गए हवाई हमलों से एक साथ निपटा जा सके। दूसरे एस-400 को चीन के मौर्चे पर तैनात किया जाएगा। इस मिसाइल सिस्टम से भारत की सुरक्षा प्रणाली अभेद्य हो जाएगी।भारत अगले दो-तीन माह में चीन सीमा पर अपनी दूसरे एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय कर देगा। इस एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम से भारतीय सेना को और मजबूती मिलेगी। यह चीन की तरफ से भेजे गए फाइटर जेट, मिसाइलों, ड्रोन विमानों व रणनीतिक बाम्बर को दूर से पहचानेगा और उन्हें पलक झपकते ही तबाह कर देगा। गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच 15 अक्टूबर 2016 को इस मिसाइल सिस्टम को लेकर समझौता हुआ था। यह सौदा करीब 40 हजार करोड़ रुपये का है। दोनों देशों के बीच हुए इस रक्षा समझौते के पांच वर्ष बाद भारत को यह मिसाइल सिस्टम मिलने जा रहा है। ऐसा नहीं यह कि रूसी एस-400 मिसाइल भारत के ही पास है। रूस ने अपने मित्र चीन को भी यह मिसाइल मुहैया कराई है। चीन ने पहले ही रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीद चुका है। उसने रूस से छह मिसाइल सिस्टम खरीदे हैं। उसमें से दो की तैनाती उनसे वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी से पास कर रखी है। रिपोर्ट के मुताबिक एएससी के करीब शिंजियांग के होटन एयर बेस पर एक सिस्टम तैनात है, जबकि दूसरा तिब्बत में नयिंग्चि एयर बेस पर तैनात है। चीन ने इस मिसाइल सिस्टम के लिए रूस से 2014 में सौदा किया था। यह मिसाइल सिस्टम रूस की सेना में इसे 2007 में शामिल किया गया था। रूस से सबसे पहले तुर्की को इसकी आपूर्ति की थी। रूस ने इसे सीरिया में भी तैनात किया हुआ है। ध्यान देने की बात है कि चीन ने पिछले दो वर्षों में व्यवस्थित तरीके से भारत से लगे अपने सभी एयरबेसों को अत्याधुनिक बनाया है। इसमें होटान, काशगर, गारगुंसा और शिगात्से शामिल हैं। इसमें उनके रनवे को बढ़ाया गया है, वहां मजबूत शेल्टर बनाए गए हैं, ताकि उसमें विमानों को छिपाया जा सके, ईंधन के लिए स्टोरेज, अतिरिक्त फाइटर जेट, बाम्बर और निगरानी विमान तैनात किए गए हैं। यही नहीं चीन ने भारत के खिलाफ रूस से खरीदे गए 2 एस-400 सिस्टम को भी तैनात किया है। यही नहीं भारत के हमले का जवाब देने के लिए चीन ने कई एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम लगाए हैं। चीन के पास अपना एयर डिफेंस सिस्टम भी है। पाकिस्तान ने भी अपनी सैन्य रणनीति के तहत चीन से एयर डिफेंस सिस्टम लिया है। चीन ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए एचक्यू-9 सिस्टम दिया है।
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