राजनांदगांव। शिक्षा का अधिकार कानून वर्ष 2010 से पूरे प्रदेश में लागू है और 2019 से पूरे प्रदेश में आरटीई के बच्चों को कक्षा बारहवीं तक निःशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान लागू है। शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 8 के प्रावधानों के अनुसार आरटीई के गरीब बच्चों स्कूलों में प्रवेश दिलाने और कक्षा बारहवीं तक शिक्षा पूर्ण कराने की पूर्ण जिम्मेदारी भी राज्य सरकारी की है, और जिले में इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी पूर्णतः उत्तरदायी है।
जिले में कोरोना काल में वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2022 तक लगभग 40 प्रायवेट स्कूल बंद हो गए इनमें लगभग 1500 आरटीई के गरीब बच्चे प्रवेशित थे, जिन्हें अन्यंत्र स्कूलों को प्रवेश दिलाने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की थी, लेकिन इन बंद स्कूलों के बच्चों को किन-किन स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है इसकी सही जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के पास नहीं है, जो जानकारी छग विधानसभा में दी गई वही मिथ्या व भ्रामक है।
जिले में सिर्फ कक्षा पांचवी तक संचालित प्रायवेट स्कूलों की संख्या लगभग 120 है, और सिर्फ कक्षा आठवीं तक संचालित प्रायवेट स्कूलों की संख्या लगभग 108 और सिर्फ कक्षा दसवी तक संचालित प्रायवेट स्कूलों की संख्या लगभग 60 है और इनमें लगभग 4 हजार आरटीई के बच्चे अध्ययनरत् है, जिन्हें इस सत्र 2022-23 में अन्य स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाना है, जिसके लिए पीड़ित पालकों के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के चक्कर काट रहे और लिखित में आवेदन कर रहे है, लेकिन आज तक इन 4 हजार बच्चों को किन-किन स्कूलों में प्रवेश दिलाया जावेगा, इसकी कोई जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के पास नहीं है, जबकि इन 4 हजार बच्चों को कक्षा बारहवीं तक शिक्षा पूर्ण कराने की पूर्ण जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की है।
वहीं दूसरी ओर 1 अप्रैल से ज्यादातर प्रायवेट स्कूलें आरंभ हो चुकी है, लेकिन आरटीई के 4 हजार गरीब बच्चे किस स्कूल में और कब से स्कूल जाएंगे इसकी कोई जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के पास नहीं है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर इन 4 हजार गरीब बच्चों को अन्यत्र स्कूलों को प्रवेश दिलाने और इन्हें कक्षा बारहवीं तक शिक्षा पूर्ण कराने की मांग किया गया है, जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने 31 मार्च को सिर्फ कक्षा आठवीं उत्तीर्ण कर कक्षा नवमीं गए आरटीई के गरीब बच्चों को आसपास के प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाने सभी नोडल अधिकारियों को पत्र लिखा है, लेकिन अभी कक्षा 5वीं उत्तीर्ण कर कक्षा 6वीं में गए और कक्षा 10वीं उत्तीर्ण कर कक्षा 11वी में गए गरीब बच्चों के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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