पृथ्वी से बहुत ही करीब से गुजरेगा विशालकाय ऐस्टरॉइड

by sadmin

वॉशिंगटन । विशालकाय ऐस्टरॉइड पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। लेकिन डरने की जरुरत नहीं है, क्योंकि यह किसी साइंस फिक्शन मूवी की तरह धरती से नहीं टकराएगा। दरअसल पृथ्वी से लगभग 1.2 मिलियन मील यानी करीब 20 लाख किमी की दूरी पर से गुजरेगा। यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से पांच गुना ज्यादा है। मंगलवार को इसके गुजरने की उम्मीद है।एस्टरॉइड 7482 (1994 पीसी1) का आकार लगभग एम्पायर स्टेट बिल्डिंग के सामान है।
यह करीब आधा मिलियन चौड़ा हैं, नासा के वैज्ञानिक इस ट्रैक कर रहे हैं। इस 1994 में खगोलशास्त्री ने इस खोजा था। यह ऐस्टरॉइड हाल के हफ्तों में पृथ्वी के पास से गुजरने वाले कई बड़े एस्टरॉइड्स में से एक है। नासा ने ट्विटर पर पोस्ट किया था, नियर-अर्थ एस्टरॉइड 1994 पीसी1 बहुत प्रसिद्ध है, और दशकों से हमारे ग्रह रक्षा विशेषज्ञ इसका अध्ययन कर रहे हैं। आश्वस्त रहें कि 1994 पीसी1 सुरक्षित रूप से हमारे ग्रह के ऊपर से उड़ान भरेगा।’ यूनिस्टेलर के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी और वरिष्ठ ग्रह खगोलविद फ्रेंक मार्चिस ने बताया कि अगर यह ऐस्टरॉइड पृथ्वी से टकराता है,तब यह ‘बड़े स्तर पर तबाही’ मचा सकता है क्योंकि इसमें किसी परमाणु विस्फोट की तुलना में अधिक ऊर्जा है। हालांकि 1994 पीसी1 सिर्फ सुनने में खतरनाक लगता है लेकिन इससे चिंता करने की कोई बात नहीं है।इस देखने के लिए किसी के पास 6 इंच या उससे अधिक व्यास वाले टेलिस्कोप की जरूरत होगी।
अंतरिक्ष में लाखों की संख्या में ऐस्टरॉइड घूम रहे हैं। इनमें से कई हर दिन पृथ्वी के करीब से गुजरते हैं। हालांकि, काफी कम एस्टरॉइड ही हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं।अब नासा के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कुछ ऐस्टरॉइड्स हैं, जो बिना नजर में आए पृथ्वी तक पहुंच सकते हैं।इसतरह के ऐस्टरॉइड्स से पृथ्वी को खतरा भी हो सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जिस तरह से पृथ्वी घूमती है और सूर्य की परिक्रमा करती है, उससे रात में हमारी ओर आने वाली वस्तुएं कम्प्यूटरीकृत दूरबीनों के एक नेटवर्क से बचकर निकल सकती हैं। ऐसा ही एक 100 मीटर लंबा ऐस्टरॉइड चुपके से साल 2019 में पृथ्वी से करीब 43,000 मील की दूरी से गुजरा था। इस ऐस्टरॉइड के पृथ्वी के पास से गुजरने के मात्र 24 घंटे पहले देखा गया था।
पृथ्वी पर मानव सभ्यता के जन्म से पहले कई ऐस्‍टरॉइड टकरा चुके हैं। हम जानते हैं कि उन्हीं में से एक ऐस्‍टरॉइड के कारण आज से 6 करोड़ 60 लाख साल पहले धरती से डायनासोर विलुप्त हुए थे। 150 किमी चौड़े इसी ऐस्‍टरॉइड के कारण मैक्सिको की खाड़ी के पास 10 किमी चौड़ा चिक्सुलब क्रेटर बना था। कई ऐस्‍टरॉइड थे जिनके कारण पृथ्वी की सतह और वायुमंडल को उनका आज वाला स्वरूप मिला था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर धरती पर फिर से कोई बड़ा ऐस्‍टरॉइड टकराता है तो इससे न केवल भारी तबाही होगी, बल्कि वातावरण में ऑक्सिजन की मात्रा भी घट जाएगी।इसतरह मानव जीवन के अस्तित्व पर खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले 100 साल में धरती को किसी बड़े ऐस्‍टरॉइड से कोई खतरा नहीं है।

Related Articles

Leave a Comment