जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग के सभागार में राजेश वास्तव, जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग की अध्यक्षता में दुर्ग जिले के सोनोग्राफी सेंटर के संचालकों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
आयोजित कार्यशाला में राजेश वास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देश पर समय-समय पर कानूनी विधिक जानकारी हेतु कार्यशाला विभिन्न विषयों पर आयोजित किया जाता है तथा कानून की जानकारी दिया जाकर, जागरूक किया जाना मुख्य उद्वेश्य है।
इसी उद्वेश्य की पूर्ति के लिए आज लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम की जानकारी हेतु यह कार्यशाला आयोजित की गई है। सोनोग्राफी सेंटरों के द्वारा महिलाओं के गर्भ धारण के संबंध में जॉच की जाती है तथा नियमानुसार सभी को निर्धारित फार्म में जानकारी महिला के संबंध में भरी जाती है। महिलाओं के संबंध में निर्धारित फार्म में जानकारी सही-सही भरी जानी चाहिए इसमें किसी भी प्रकार की कांट-छाट नहीं होना चाहिए। इसमें किसी प्रकार के लिपिकीय त्रुटि का लाभ संचालक नहीं ले सकते है। कानून की दृष्टि मे निर्धारित फार्म में गलत जानकारी भरा जाना, कांट-छांट किया जाना भी, इस अधिनियम के तहत् अपराध की श्रेणी में आता है। इस अधिनियम के तहत् दर्ज अपराध में तीन वर्ष का कारावास एवं जुर्माना से दंडित किया जा सकता है।
आयोजित कार्यशाला में पी.एन.डी.टी .एक्ट के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत वास्तव, डॉ. वर्षा राजपूत स्टेट कोऑडिनेटर पी.एन.डी.टी. एक्ट एवं डॉ. अर्चना चौहान एमबीबीएस ने शासन की ओर से संबंधित अधिनियम के तहत् की जाने वाली कार्यवाही एवं प्रक्रियाओं की जानकारी दी तथा उन्हें सेंटर में किस प्रकार से रजिस्टर संधारित किया जाना है फार्म में क्या -क्या जानकारी भरी जानी है तथा किस अवधि तक इनके सुरक्षित रखा जाना है इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी । मती शीलू केसरी न्यायिक मजि. प्रथम श्रेणी ने बताया की प्री.नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक पीएनडीटी एक्ट के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है । ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है। डॉ. अर्चना चौहार गायनोलाजिस्ट के द्वारा भूण के जॉच के संबंध में अपनाई जानी वाली सावधानी के संबंध में बताया। लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम के तहत् प्रस्तुत किये जाने वाले प्रकरण के लिए दुर्ग में मती शीलू केसरी न्यायिक मजि. प्रथम श्रेणी को नामित किया गया है। उनके द्वारा अपने उद्बोधन में न्यायालय में प्रस्तुत किये जाने वाले प्रकरण के संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया, सुनवाई की प्रक्रिया के संबंध में जानकारी दी तथा उक्त अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत् दोष सिद्व आरोपी को दिये जाने वाली सजा के संबंध में बताया। उक्त कार्यशाला में 70 सोनोग्राफी संस्थाओं के संचालकों द्वारा प्रतिभागी के रूप में सम्मिलित हुए।