कुशीनगर / कुशीनगर इंस्टरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह के दिन तथागत भगवान बुद्ध का धातु अवशेष (अस्थि अवशेष) 141 साल बाद श्रीलंका से भारत आएगा। श्रीलंका से आ रहे बौद्ध भिक्षु अपने साथ भगवान बुद्ध का धातु लेकर आएंगे,इस पहले कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रखा जाएगा। इसके बाद भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष को बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर लाया जाएगा, जहां विशेष पूजा की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विशेष पूजा में शामिल होने वाले है।
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1880 में भगवान बुद्ध का अस्थि अवशेष भारत से श्रीलंका ले जाया गया था। बौद्ध धर्म में बुद्ध के धातु अवशेष का बड़ा महत्व है, जहां इस रखा जाता है, वह स्थल धार्मिक रूप से बहुत पवित्र होता है। भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण (भौतिक शरीर का परित्याग) करने के बाद उनके धातु अवशेष के बंटवारे को लेकर सात गणराज्यों में युद्ध की स्थिति बन गई थी।सात गणराज्य भगवान बुद्ध के धातु पर अपना अधिकार जताकर अपनी सेनाओं के साथ कुशीनारा (वर्तमान कुशीनगर) पहुंच गए थे। युद्ध की स्थिति को टालते हुए बुद्ध के शिष्य द्रोण ने शांति और अहिंसा की बात करते हुए धातु अवशेष को सात भागों में बांटते हुए गणराज्यों को दे दिया था।
बाद में भगवान बुद्ध के अवशेषों को दुनिया के कई भागों में ले जाया गया था।बौद्ध धर्म में धातु अवशेष का बहुत महत्व है।मूर्ति पूजा से पहले धातु की ही पूजा की जाती थी।बौद्ध धर्म को दुनिया में फैलाने वाले सम्राट अशोक ने 80 हजार से अधिक स्तूप बनवाया था और सभी में धातु अवशेष रखवाया था।इसकारण अशोक द्वारा बनवाए गए स्तूपों को बहुत पवित्र माना जाता है।केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद ने बताया की कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन के पहले विदेशी यात्री बने श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल अपने साथ बुद्ध धातु के अवशेष का एक हिस्सा लेकर आएंगे। यह अवशेष सन 1880 में भारत से श्रीलंका गया था।यहां इसकी विशेष पूजा की जाएगी।
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