देश इन दिनों कोयले की कमी के संकट से जूझ रहा है। इस कारण से कई हिस्सों में बिजली की कटौती भी की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिजली संकट की आशंकाओं पर एक समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक आज ही होने की संभावना है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बिजली मंत्री आरके सिंह, कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी और अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ कोयला और बिजली मंत्रालयों के प्रभारी के साथ बैठक की थी।
कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि बिजली आपूर्ति में व्यवधान का कोई खतरा नहीं है। आपको बता दें कि कई राज्यों ने कोयले की कमी के कारण ब्लैकआउट पर तत्काल चिंता जताई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के चरणजीत चन्नी सहित कई मुख्यमंत्रियों ने केंद्र को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि बिजली की स्थिति गंभीर हो गई है। इन्होंने राज्यों को कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पीएम मोदी के हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
देश के कई थर्मल प्लांट कोयले के भंडार की अभूतपूर्व कमी का सामना कर रहे हैं। इससे बिजली संकट पैदा हो सकता है। 5 अक्टूबर को बिजली उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग करने वाले 135 संयंत्रों में से 106 या तो क्रिटिकल या फिर सुपरक्रिटिकल चरण में थे। यानी उनके पास अगले 6-7 दिनों के लिए ही स्टॉक था।
केंद्र ने कई कारकों का हवाला दिया है जिसके कारण वर्तमान कोयले की कमी हुई है। केंद्र का कहना है कि कोविड -19 की दूसरी लहर के कारण मांग में तेजी से वृद्धि हुई है, कुछ क्षेत्रों में भारी मानसून की बारिश हुई है, जिससे कोयले की आवाजाही प्रभावित हुई है। आयातित कोयले की कीमतों में तेज वृद्धि को भी इसका कारण माना गया है।
केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को बीएसईएस अधिकारियों, एनटीपीसी और बिजली मंत्रालय के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की और पुष्टि की कि आपूर्ति और मांग चैनलों से संबंधित कोई समस्या नहीं है जो बिजली संकट पैदा कर सकती है।.