न्यूयार्क। अफगानिस्तान के लिए आने वाला समय बड़ी कठिनाइयों भरा है। अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेबोराह लियोंस ने यहांं तक कहा है कि यदि वहां के आर्थिक हालात जल्द नहीं सुधरे तो वो जनरेशन पीछे तक हो जाएगा। ऐसे में वहां के लोगों को बेहद बुरे हालातों का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा है कि अफगानिस्तान में इस तरह के हालात आने से पहले यहां पर तुरंत एक बड़ी धनराशि की जरूरत है। आपको बता दें कि अमेरिका ने अफगानिस्तान का विदेशी बैंकों में जमा धनराशि की निकासी पर रोक लगा दी है। वहीं आईएमएफ ने भी अफगानिस्तान को वित्तीय मदद देने से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। तालिबान का कहना है कि उसको ये राशि दी जानी चाहिए।
लियोंस का कहना है कि तालिबान को ये सुनिश्चित करना होगा कि उसको मिलने वाली राशि का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा। लियोंस ने यहां तक कहा है कि धन की कमी की वजह से अफगानिस्तान कई जनरेशन पीछे चला जाएगा। यूएनएससी में लियोंस ने ये भी कहा है कि तालिबान ने इस बार भरोसा दिलाया है कि वो बदला हुआ है और सभी को उनके अधिकार हासिल होंगे। इसलिए उन्हें कुछ मौका दिया जाना चाहिए कि अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की कवायद कर सकें। अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट की तरफ से कहा गया है कि तालिबान पर लगे प्रतिबंधों को हटाना या इनमें कमी करना फिलहाल संभव नहीं हैं।
इस बीच काबुल एयरपोर्ट से गुरुवार को कुछ अमेरिकियों समेत करीब सौ यात्रियों को लेकर विमान ने उड़ान भरी। 30 अगस्त के बाद ये पहली उड़ान थी जिसमें लोगों को सुरक्षित दूसरी जगह पर पहुंचाया गया। बता दें कि 30 अगस्त को अमेरिका के आखिरी विमान ने काबुल एयरपोर्ट से अपनी आखिरी उड़ान भरी थी। इसके बाद काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान के आतंकियों का कब्जा हो गया था। तालिबान ने इस हवाई अड्डे को चलाने के लिए तुर्की और कतर से तकनीकी मदद मांगी थी।
बता दें कि अफगानिस्तान के खराब होते हालातों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी चिंता व्यक्त की गई है। भारत की तरफ से कहा गया है कि वहां के हालात लगातार खराब हो रहे हैं जो अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों से सीधेतौर पर जुड़े हैं और उन्हें प्रभावित करते हैं। भारत के स्थायी सदस्य टीएस तिरुमूर्ती ने इसमें कहा कि भारत और उसके करीबी देशों की चिंता वहां पर मौजूद अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी है।
आपको बता दें कि अमेरिका के दबाव में इंटरनेशनल मोनेट्री फंड ने भी अफगानिस्तान को दी जाने वाली करीब 440 मिलियन डालर की वित्तीय मदद को रोक दिया है। वहीं चीन और रूस लगातार इस बात को लेकर दबाव बना रहे हैं कि अफगानिस्तान को तुरंत वित्तीय मदद दी जाए, जिससे वो रफ्तार पकड़ सके। चीन के डिप्टी यूएन एंबेसडर गेंग शोंग का कहना है कि इस मदद को अफगानिस्तान की तरक्की पर खर्च किया जाएगा। इसलिए इसको किसी तरह के खतरे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
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