नशापान एक सामाजिक बुराई, सामाजिक, आर्थिक व जन-स्वास्थ्य के लिए चलायें जन-चेतना अभियान

by sadmin

राज्य में पूर्ण शराबबंदी की अनुशंसा के लिए गठित राजनीतिक समिति की दूसरी बैठक संपन्न.
महिला कमाण्डों को किया जाए सशक्त, नुक्कड़ नाटकों के जरिए.
हाट-बाजारों में नशापान के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को करें जागरूक.

रायपुर. राज्य में पूर्ण शराब बंदी लागू किये जाने के संबंध में अनुशंसा के लिए गठित प्रदेश के प्रमुख दलों के विधायकों की राजनीतिक समिति की दूसरी बैठक नवा रायपुर के जीएसटी भवन में आयोजित की गई। वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में शराबबंदी के पश्चात् होने वाले सामाजिक और आर्थिक पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में नशापान के आदि हो चुके लोगों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण पर भी चर्चा की गई। श्री शर्मा ने कहा कि नशापान एक सामाजिक बुराई है। राज्य सरकार पूर्ण शराबबंदी करना चाहती है। इसके लिए जन-स्वास्थ्य, आर्थिक-सामाजिक और कानून व्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा। साथ ही अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों को नियत छूट की सीमा सहित अन्य विषयों में भी विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। बैठक में सदस्यों ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी के लिए अपने-अपने सुझाव दिए। बैठक में विधायक शिशुपाल सोरी, द्वारकाधीश यादव, दालेश्वर साहू, पुरूषोत्तम कंवर, कुंवर सिंह निषाद, श्रीमती उत्तरी जांगड़े, श्रीमती रश्मि सिंह और श्रीमती संगीता सिन्हा, आबकारी विभाग के सचिव निरंजन दास सहित संबंधित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में बिहार, गुजरात, नागालैंड, मिजोरम और लक्ष्यदीप जहां पूर्ण शराबबंदी है वहां की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के साथ-साथ कानून व्यवस्था, अवैध शराब के परिवहन तथा धारण व जन-स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से नशा के आदि हो चुके लोगों पर इसके प्रभाव के संबंध में अध्ययन करने का निर्णय लिया गया। आन्ध्रप्रदेश, हरियाणा, मणिपुर और तमिलनाडु जैसे राज्य जहां पहले पूर्ण शराबबंदी की गई थी। उसके बाद पुनः बहाल किया गया था के संबंध में भी अध्ययन भ्रमण करने पर बल दिया गया। इसके साथ ही नशामुक्ति के लिए शराब के दुष्प्रभावों के संबंध में जन-चेतना अभियान के साथ-साथ साप्ताहिक हाट-बाजारों में नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को जागरूक करने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में सदस्यों ने शराब दुकानों का स्थान निर्धारित करने, शराब दुकान धीरे-धीरे कम करने, निर्धारित शराब दुकानों के खुलने के लिए तय किये गए समय में कटौती करने, अवैध शराब विक्रय करने कोचियों पर कड़ी कार्यवाही करने आदि पर भी विचार-विमर्श किया गया। नशामुक्ति के लिए लोगों को जागरूक करने में शासकीय भवनों में वॉल राइटिंग कराने, तथा स्वच्छ भारत मिशन की तर्ज पर पूर्ण शराबबंदी होने की स्थिति में जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत को पुरस्कार व सम्मान प्रदान किए जाने के सुझाव भी दिये गए।
सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रमुख रूप से विभिन्न राज्यों में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के पश्चात् राज्य के वित्तीय ढ़ांचे का अर्थ व्यवस्था पर प्रभाव, शराबबंदी का सामाजिक क्षेत्र पर प्रभाव, शराबबंदी लागू करने में आई कठिनाइयां, शराबबंदी के फलस्वरूप राज्यों की कानून व्यवस्था की स्थिति में परिवर्तन अथवा बदलाव, अवैध मदिरा के विक्रय-परिवहन-धारण को रोके जाने संबंधी की गई कार्यवाही का अध्ययन सहित अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के समुदायों को नियत सीमा तक शराब के निर्माण एवं धारण के छूट पर शराबबंदी के प्रभाव के संबंध में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। बैठक में शराबबंदी के बाद अनुसूचित क्षेत्रों में विधिक परिस्थितियां एवं प्रभाव, जन-स्वास्थ पर प्रभाव तथा राज्य सरकार द्वारा नशा मुक्ति के लिए चलाये जा रहे जन-जागरण अभियान का सामाजिक प्रभाव पर भी चर्चा की गई।

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