कहां से आते है अवैध हथियार, कौन देता है संगठित अपराधों को अंजाम!

by sadmin

दक्षिणापथ, भिलाई। भिलाई गोलीकांड के बाद पिंकी राय की हिस्ट्री पुलिस ने बड़ी देर से खोली, जबकि कई दफे जिला बदर की कार्रवाई की अनुशंसा हो चुकी थी। मुकुल नामक जिस युवक को एयर फायरिंग के आरोप में पुलिस ढूंढ रही है, उनने भी fir दर्ज होने के कुछ देर पहले इंस्टाग्राम पर अपना पोस्ट सेंड किया था।
जानकार बताते है कि बिहार की तरह भिलाई में भी अवैध हथियारों की भरमार है। आपराधिक प्रवृत्ति के कई लोगो के पास देशी कट्टा जैसे असलहे है। यदाकदा पुलिस हथियारों के साथ बदमाशों को धर दबोचती है, मगर वह इसके नियंत्रण में नाकाफी होता है। अपने खबरियों की मदद से पुलिस यदि व्यापक अभियान चलाए तो सैकड़ो की संख्या में अवैध असलहे पकड़ में आएंगे। साथ ही यह भी समझ आ जायेगा कि अवैध हथियार रखने वाले अक्सर लोग उत्तर भारत से बावस्ता रखते है। अवैध हथियारों की सप्लाई भी उन्हीं क्षेत्रों से होती है। कई साल पहले छावनी पुलिस ने नंदनी के समीप स्थित एक सुने फार्म हाउस में छापा मारकर अवैध हथियार बनाने के कारोबार का भंडाफोड़ किया था। up व बिहार से आये कुछ लोग यह काम करते थे।
समय समय पर पुलिस को गुंडे बदमाशों के पास कट्टा जैसे अवैध हथियार तो मिलते है मगर सप्लाई चैन को ट्रेस नही कर पाते। बताते है कि भिलाई के अलावा कोरबा में भी अवैध हथियारों का बड़ा जखीरा उपलब्ध है। उत्तरी छत्तीसगढ़ के कई जिले झारखंड व उत्तरप्रदेश की सीमाओं से लगे हुए है। वहीं इलाका अवैध धंधों का कारीडोर बन गया है।
छत्तीसगढ़ की वर्तमान भूपेश सरकार प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने सचेत है। सरकार का इंटेलिजेंस विभाग इन कृत्यों पर नजर बनाए रखे हुए है। खासकर उत्तर भारत से जुड़े अपराधों को पनपने के अवसर को नेस्तनाबूद करना अहम लक्ष्य है।
उन इलाकों के कई लोग छत्तीसगढ़ आकर यहाँ की स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय है। चुन चुनकर ऐसे तत्वों की पहचान करना भी जरूरी है, जो संगठित अपराधों को अंजाम देते है। इनके तार दुर्ग के अलावा महाराष्ट्र के पुणे व मुंबई से भी जुड़े हुए है। बस्तर के कुछ इलाकों में भी इनकी घुसपैठ है।

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