दक्षिणापथ। संगीत का भारतीय संस्कृति में हमेशा खास महत्व रहा है। माना जाता है कि बड़े-बड़े संतों और महात्माओं ने संगीत की साधना कर मोक्ष को प्राप्त किया है। आज के वक्त में भी संगीत के बिना भारतीय जीवन की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल है। घर परिवार में होने वाले हर छोटे-बड़े त्यौहार में संगीत का अपना महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि एक अच्छा संगीत औषधि के समान होता है। अमेरिका की आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध में बताया गया है कि मन को शांति प्रदान करने वाला संगीत पार्किंसंस जैसे रोग से लडऩे में भी एक कारगर औषधि है।
अमेरिका में आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक चिकित्सीय गायन समूह के 17 प्रतिभागियों की हार्ट बीट, बल्डप्रेशर और कोर्टिसोल लेबल को मापा। अपने इस शोध में वैज्ञानिकों ने यह देखा की संगीत पार्किंसंस रोग के तनाव और लक्षणों को कम कर सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि संगीत चिकित्सा, दवा लेने के समान ही फायदेमंद है।
शोध में शामिल 17 प्रतिभागियों ने म्यूजिक ट्रीटमेंट से पहले ये बताया कि उनका मूड किस तरह का है। इसमें उन्होंने अपनी उदासी, चिंता, खुशी और गुस्से के बारे में सूचना दी। इसके बाद उन्हें लगातार एक हफ्ते तक एक घंटे के गायन सत्र में भेजा गया। एक हफ्ते के बाद जो रिजल्ट मिले वो हैरान करने वाले थे। आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के एक सहायक प्रोफेसर एलिजाबेथ स्टीगमोलर ने कहा हमने ये देखा कि जैसे ही गायन सत्र खत्म होता था लोगों के मूड में लगातार सुधार हो जाता था। वो पहले के मुकाबले बेहतर महसूस कर रहे थे।
स्टीग्मोलर ने कहा, हम ये देखना चाहते थे कि संगीत किस तरह पार्किंसंस रोग से प्रभावित लोगों की हार्ट बीट, बल्डप्रेशर और कोर्टिसोल को प्रभावित करता है। यह देखने के लिए यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है। हमने ये देखा की सभी तीन स्तर कम हो गए थे स्टीगमोलर ने आगे कहा कि प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर हम ये नहीं कह सकते की हम फाइनल रिजल्ट पर पहुंच गए हैं। क्योंकि गायन सत्र के बाद उन लोगों की खुशी या गुस्से में कोई खासा अंतर नहीं था। हालांकि, प्रतिभागी पहले के मुकाबले कम चिंतत और कम उदास थे।
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