मुख्यमंत्री के निर्देश पर किया जा रहा सर्वे, कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने आज पाटन क्षेत्र के ऐसे खनन तालाबों का किया निरीक्षण
क्रेडा के सोलर सिंचाई पंपों के माध्यम से होगी सिंचाई
दक्षिणापथ, दुर्ग। बंद पड़े खदानों वाले तालाबों के पानी का सिंचाई के लिए उपयोग होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर इनका सर्वे आरंभ हो चुका है। उल्लेखनीय है कि जिले में सिंचाई सुविधा बढ़ाने मुख्यमंत्री ने ऐसे निष्प्रयोज्य तालाबों से सिंचाई की संभावनाओं पर विचार करने के निर्देश अधिकारियों को दिये थे। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे पाटन ब्लाक पहुंचे। यहां उन्होंने सेलूद के तालाबों का निरीक्षण किया। इस मौके पर जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक, एसडीएम विपुल गुप्ता, सीईओ मनीष साहू, जलसंसाधन विभाग के अधिकारी और क्रेडा के अधिकारी भी पहुंचे। उन्होंने बताया कि निष्प्रयोज्य इन खदानों में काफी गहराई तक पानी है और इसके उपयोग की बेहतर संभावना है। कलेक्टर ने इस मौके पर कहा कि ऐसे सभी निष्प्रयोज्य खनन तालाबों का सर्वे कर लें और यदि मछली पालन जैसी गतिविधियां इनमें नहीं हो रही हों तो इनके उचित प्रयोग के लिए प्लान बनाएं। उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से किस तरह से सिंचाई हो सकती है। इसके लिए प्लान बनाएं। उन्होंने कहा कि क्रेडा के माध्यम से सोलर सिंचाई पंप दिये जा सकते हैं जिनसे अनुदान के माध्यम से किसान अपने खेतों में बारहमासी फसल ले सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन तालाबों में साल भर पानी भरा रहता है।
साथ ही इन्हें नहर से कनेक्ट करने की संभावना भी बनती है। कलेक्टर ने कहा कि हर तालाब में सिंचाई के लिए अलग तरह का प्रोजेक्ट बनाना होगा जो डाउनस्ट्रीम को देखकर एवं अन्य तकनीकी पहलुओं को देखते हुए होगा। साथ ही इन तालाबों के नजदीकी खेतों वाले किसानों से भी संपर्क करें और बताएं कि किस तरह से सोलर पंपों के माध्यम से वे उन्नत खेती का लाभ उठा सकते हैं। इस मौके पर जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि सभी तालाबों का प्रारंभिक सर्वे किया जा चुका है। कुछ ऐसे निष्प्रयोज्य तालाबों में लोग मछली पालन कर रहे हैं। शेष तालाबों में ऐसे प्लान बना सकते हैं।
चारागाहों के समुचित उपयोग को लेकर बनाएं कार्ययोजना
कलेक्टर ने कहा कि चारागाहों में नैपियर घास उगाई जा रही है। यह पशुओं के लिए बेहद पौष्टिक है। इसका पूरी तरह उपयोग हो, इसके लिए समुचित कार्ययोजना बनाएं। साथ ही सभी गौठानों की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त चारा मिल पाए, इसके लिए भी चारागारों की व्यवस्था की निरंतर मानिटरिंग करें।