दक्षिणापथ, दुर्ग । एडिशनल सेकेरेटरी, जल शक्ति मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्याें के अनुभवों को साझा करने के लिये भारत के 07 जिला पंचायत अध्यक्षों से वर्चुवल विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की गई। जिसमें दुर्ग एवं रायपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा भाग लिया गया। दुर्ग जिपं अध्यक्ष श्रीमती शालिनी रिवेन्द्र यादव द्वारा जिला दुर्ग में किये गये कार्याें की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री जी द्वारा 02 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का शुभारंभ किया गया था। उस समय मैं ग्राम पंचायत बोरई की सरपंच थी। अभियान के तहत ग्राम पंचायतों के समस्त पात्र शौचालय विहिन परिवारों के घरों में निजी शौचालय निर्माण का कार्य किया गया। जिला दुर्ग में बेसलाईन सर्वे अनुसार कुल 80302 शौचालय विहिन परिवारों के घरों में शौचालयों का निर्माण किया गया एवं जिला दुर्ग 26 जनवरी, 2017 को खुले में शौचमुक्त होने हेतु संकल्पित हुआ।
1 अप्रैल, 2020 से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेस-2 का शुभारंभ किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामों के ओ.डी.एफ. स्थायित्व, एस.एल.डब्ल्यू.एम., प्लास्टिक प्रतिबंध, सामुदायिक शौचालयों की उपलब्धता आदि विषयों पर कार्य कर ग्राम को ओ.डी.एफ. प्लस की श्रेणी में लाना है। जिला दुर्ग के 172 ग्राम पंचायतांे में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत ग्राम पंचायतों में सेग्रीगेशन वकशेड का निर्माण किया जा रहा है। कुल 91 ग्रामों में एस.एच.जी. वर्कशेड का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेस-2 अंतर्गत ग्रामों में सामुदायिक शौचालयों के निर्माण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जिला दुर्ग में कुल 314 सार्वजनिक शौचालय निर्माण किये जाने हेतु प्रशासकीय स्वीकृति कर राशि जारी की जा चुकी है। जिनमें से 44 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शेष शौचालयों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जनपद पंचायत दुर्ग अंतर्गत ग्राम पं. मचांदुर, एवं ज.पं. पाटन अंतर्गत अमलेश्वर में दिव्यांगजनों एवं तृतीय लिंग समुदाय हेतु राशि रू. 12.43 लाख लागत के सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया जा रहा है। ज.पं दुर्ग अंतर्गत ग्राम अंडा में, ज.पं. धमधा अंतर्गत बोरी,एवंज.पं. पाटन अंतर्गत फुंडा में हाईवे के समीप राशि रू. 5.00 लाख के सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जा रहा है, जिसका उपयोग हाईवे यात्रियों द्वारा किया जा सकेगा। गोबर धन योजना अंतर्गत जपं दुर्ग के ग्रा.पं. भटगांव, जपं पाटन के बेलौदी एवं सिकोला में 10 घन मी. क्षमता वाले सामुदायिक बायोगैस संयंत्र का निर्माण किया गया है। जिसका उपयोग हितग्राहियों द्वारा किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2 घन मीटर क्षमता वाले 30 व्यक्तिगत बायोगैस संयंत्र का निर्माण का लक्ष्य लिया गया है। जिसमें से 20 व्यक्तिगत बायोगैस संयंत्र निर्माण की स्वीकृति कर राशि जारी की जा चुकी है। क्रेडा द्वारा शीघ्र कार्य प्रारंभ किया जावेगा। दिव्यांगजनों हेतु दिव्यांगतान के अनुकुल शौचालय निर्माण किये जाने हेतु पायलेट प्रोजेक्ट अंतर्गत जिला दुर्ग के 149 दिव्यांगजनों के घरों में शौचालय निर्माण का कार्य किया जा रहा है। जिनमें से 66 शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। जिससे दिव्यांग बंधुओं को शौच करने में होने वाली असुविधा से निजात मिल रही है। सुराजी योजना अंतर्गत ग्रामों में निर्मित होने वाले गौठानों में भी शौचालय निर्माण का कार्य किया जा रहा है। जिसका उपयोग गौठान में कार्य करने वाले कर्मियों द्वारा किया जावेगा। अब तक 466 शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। माहवारी स्वच्छता प्रबंधन अंतर्गत 160 स्व-सहायता समुहों को राशि रू 25 लाख चक्रिय निधि प्रदाय किया गया है। जिससे सेनेटरी पैड क्रय कर समुह द्वारा ग्राम स्तर पर ही महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं को बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड उपलब्ध कराया जा रहा है। जिला दुर्ग के कुल 192 ग्राम पंचायते एम.एच.एम. युक्त हो चुके है। समस्त 304 ग्राम पंचायतों ओडीएफ स्थायित्व एवं स्वच्छता के स्तर को अच्छा बनाए रखने हेतु स्वच्छताग्राही स्व-सहायता समूह द्वारा कार्य किया जा रहा है। जिनसे प्राप्त मासिक प्रतिवेदन के आधार पर अब-तक कुल रुपए 34.66 लाख प्रोत्साहन राशि समूहों को प्रदान किया जा चुका है। ग्राम में ओ.डी.एफ. स्थायित्व, ठोस एवं तरल कचरे के उचित निपाटन, सेग्रीगेशन वर्कशेड, व्यक्तिगत शौचालय, शाला एवं आंगनबाडी केन्द्रों में शौचालय की उपलब्धता के आधार पर ग्रामो को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा रहा है। जिला दुर्ग के ग्रा.पं. रिसामा, ढौर, कोडिया, मचांदूर, ज.पं. दुर्ग, बसनी, ज.पं. धमधा, कौही, अमलेश्वर, पतोरा, ज.पं. पाटन कुल 08 ग्राम पंचायतों को ओ.डी.एफ. प्लस घोषित किया जा चुका है। जिला एवं जनपद पंचायतों को प्राप्त 15वें वित्त की राशि का उपयोग पेयजल एवं स्वच्छता के लिये किया जा रहा है। जिसके लिये कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है। उक्त राशि से सेग्रीगेशन वर्कशेड में तार घेरा, हैण्डपम्प मरम्मत, हैण्डपम्प में मोटर एवं पानी टंकी के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जावेगा। गांव में प्लास्टिक प्रतिबंध हेतु महिला स्व-सहायता समूह को स्टील के बर्तन प्रदाय करने का सुझाव दिया गया, ताकि ग्राम में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में प्लास्टिक डिस्पोजल का उपयोग को रोका जा सके। जिले में बन चुके पतोरा एफ.एस.टी.पी. प्लांट में डी.एम.एफ. से वाहन खरीदने हेतु प्रस्ताव भी भेज दिया गया है।
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