पर्यावरण प्रेमी स्वर्गीय देशमुख द्वारा लगाए गए पेड़ों को कटने से बचाए जाने का मिला आश्वासन….

by sadmin

दक्षिणापथ,दुर्ग। पर्यावरण प्रेमी स्व गैंदलाल देशमुख द्वारा अपने गांव कोड़िया से दुर्ग महाराजा चौक तक 50 सालों की कड़ी मेहनत से लगाए जिन बरगद ,पीपल, नीम एवं पाकर के पेड़ो को देखकर अनेक लोग पर्यावरण संरक्षण के कार्य से जुड़ने प्रेरित हुए हैं सड़क चौड़ीकरण के नाम पर उनके लगाए इन पेड़ो को पूर्व में काटे जाने पर पर्यावरण प्रेमियों के विरोध के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी मगर राजस्व विभाग की अनुमति की बात कहते हुए इन्हें पुनः काटने की तैयारी थी जिसकी जानकारी मिलते ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत हितवा संगवारी के संयोजक रोमशंकर यादव, करगाडीह सरपंच घनश्याम गजपाल, कोड़िया के पूर्व सरपंच राधेलाल साहू, हरित क्रांति संगठन के प्रेम नारायण त्रिपाठी तत्काल मौके पर पहुंचे उन्होंने स्व गैंदलाल द्वारा लगाए इन पेड़ों को भावी पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण के लिए संदेश देने वाला बताते हुए इन पेड़ों की कटाई पर रोक लगाकर पर्यावरण संरक्षण के अनूठे मिसाल इन पेड़ों को सुरक्षित रखने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।
गौरतलब है कि स्वर्गीय श्री देशमुख ने 50 साल पूर्वअपने गांव के 5 एकड़ बंजर जमीन को जंगल बनाने के साथ-साथ ग्राम कोडिया से दुर्ग महाराजा चौक तक बरगद ,पीपल, नीम एवं पाकर के लगभग 300 पौधे रोपित किए थे जो अब विशाल पेड़ का रूप ले चुके है। श्री देशमुख द्वारा वर्षों की मेहनत से बच्चों की तरह पाल पोसकर तैयार किए गए इन पेड़ों को देखकर इस मार्ग से गुजरने वाले व्यक्ति काफी सुकून महसूस करते हैं मगर सड़क चौड़ीकरण के नाम पर इन्हें काटे जाने की खबर को लेकर पर्यावरण प्रेमी आहत है। उनका कहना है कि इतनी लंबी दूरी तक दीर्घ जीवी एवं ऑक्सीजन देने वाले जो पेड़ श्री देशमुख ने लगाए हैं वह अपनी तरह का अनूठा मिसाल है जो कि भविष्य में भी लोगों को पौधरोपण एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते रहेंगे । ऐसे अनूठे मिसाल को संरक्षित रखा जाना चाहिए यदि इन पेड़ों को काटा जाता है तो जो लोग वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वयं से पौधरोपण कर रहे हैं उनका भी मनोबल इससे कमजोर होगा। इसलिए सड़क किनारे उनके द्वारा लगाए गए पेड़ों को काटने पर रोक लगाई जाए उनके इस मांग पर तत्काल मौके पर वन विभाग के एसडीओ एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी पहुंचे जिन्होंने मौके पर मौजूद पर्यावरण प्रेमियों को स्वर्गीय देशमुख द्वारा लगाए गए पेड़ों को बचाए जाने का आश्वासन दिया।

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