12 Result 2021 Formula : सीबीएसई की असेसमेंट स्कीम पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है, मगर स्टूडेंट्स खुश नहीं हैं। ज्यादातर स्टूडेंट्स को क्लास 10 और 11 की परफॉर्मेंस को ज्यादा वेटेज देने से ऐतराज है। स्टूडेंट्स का कहना है कि क्लास 10 में कई स्टूडेंट्स का रिजल्ट अच्छा नहीं होता है और वे क्लास 11 और 12 में अपनी परफॉर्मेंस सुधारते हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि क्लास 11 में कई स्टूडेंट्स का रिजल्ट नीचे जाता है, क्योंकि नए सब्जेक्ट आते हैं, स्ट्रीम बदलती है। एक साल सीनियर सेकंडरी क्लास में सेट होने में लगता है। स्टूडेंट्स इस बात के लिए फिक्रमंद हैं कि क्या उन्हें यूनिवर्सिटी लेवल में इस असेसमेंट स्कीम से नुकसान तो नहीं होगा! कई स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया में भी असेसमेंट स्कीम से नाखुशी जाहिर की है। कई स्टूडेंट्स असेसमेंट स्कीम से संतुष्ट हैं।
11वीं का अंक छोड़ना ही ठीक था
दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) की कॉमर्स स्टूडेंट रिया मुखर्जी ने कहा, “आदर्श स्थिति तब होती जब सीबीएसई ने 12वीं के रिजल्ट के लिए सिर्फ 12वीं की परीक्षाओं को ही आधार माना होता या फिर 10वीं के अंकों को 30% और 12वीं के अंकों को 70% देते हुए रिजल्ट तैयार किया जाता क्योंकि 10वीं और 12वीं, दोनों ही बोर्ड हैं।” (सांकेतिक तस्वीर)
11वीं में नहीं बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं बच्चे
दिल्ली में रोहिणी, सेक्टर 8 स्थित सर्वोदय विद्यालय के साइंस स्टूडेंट विवेक पाण्डेय का कहना है कि वह 10वीं बोर्ड में अच्छे नंबर से पास हुआ था, इसलिए उसे 12वीं के रिजल्ट में 10वीं के अंकों को वेटेज देने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन बोर्ड को समझना चाहिए कि 11वीं में स्टूडेंट्स का ध्यान एंट्रेंस एग्जाम की तैयारियों या एक्स्ट्रा-करिक्यूलर ऐक्टिविटीज जैसे विषयों पर भी होता है। इसलिए, 11वीं परीक्षा के अंक औसतन अच्छे नहीं होते हैं। हम जब 12वीं में चले जाते हैं तब हम बोर्ड एग्जाम की तैयारियों में जुट पाते हैं। (सांकेतिक तस्वीर)
सीबीएसई की सफाई
सीबीएसई का कहना है कि 11वीं की परीक्षा ऑनलाइन ली गई थी। चूंकि यह एक वर्ष पहले ही ली गई थी और बच्चे की क्षमता मापने का वही आखिरी मौका था, इसलिए उसके अंकों को शामिल करना जरूरी था। जहां तक बात प्रैक्टिकल के मार्क्स की है तो सिर्फ 12वीं के प्रैक्टिकल एग्जाम का ही आकलन किया जाएगा, 11वीं और 10वीं के प्रैक्टिकल एग्जाम में प्राप्त अंक 12वीं के रिजल्ट के आधार नहीं बनेंगे।
10वीं, 11वीं के प्रैक्टिकल्स के अंक क्यों छोड़े?
एक आपत्ति यह है कि 10वीं और 11वीं कक्षा के सिर्फ थिअरी पेपर्स के ही अंकों को आधार बनाया जाना सही नहीं है, इनमें प्रैक्टिकल के अकों को भी शामिल किया जाना चाहिए था। एक छात्रा के पिता मनोज शर्मा कहते हैं, “प्रैक्टिकल टेस्ट एक्सटर्नल एग्जामिनर्स लेते हैं, इसलिए असेसमेंट में इनके नंबरों को शामिल क्यों नहीं किया जाएगा? अगर प्रैक्टिकल का कोई महत्व नहीं है तो फिर ये करवाए ही क्यों जाते हैं? मुझे नहीं पता क्या होने जा रहा है।” (सांकेतिक तस्वीर)
11वीं को वेटेज देना ही था तो और कम देते
कुछ विद्यार्थियों का कहना है कि क्लास 11 की परफॉर्मेंस को जो 30% वेटेज दी गई है, उसे कम किया जा सकता था, क्योंकि क्लास 11 में हमारे नए सब्जेक्ट होते हैं, जिसे समझने में वक्त लगता है और कई स्टूडेंट्म का रिजल्ट नीचे जाता है। छात्रा जाह्नवी कहती हैं, “इस हिसाब से मुझे नहीं लगता है कि 85% से ज्यादा मार्क्स आ पाएंगे। अब मुझे सिर्फ दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही उम्मीद है कि वो अपनी हाई कटऑफ में हमें राहत दे। वरना एडमिशन मुश्किल हो जाएगा।” कनक गोविल की भी कुछ यही राय है। वो कहते हैं, “मुझे असेसमेंट स्कीम पसंद नहीं आई, क्योंकि क्लास 10 के मार्क्स को 30% वेटेज दी गई है। कई स्टूडेंट्स का क्लास 10 का रिजल्ट अच्छा नहीं होता, मगर क्लास 12 में वो अच्छा परफॉर्म करते हैं।” (तस्वीर- जाह्नवी जैन)
10वीं के अंक शामिल नहीं करना चाहिए था
न्यू ऐरा पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट कनक गोविल भी इस मार्किंग स्कीम से खुश नहीं हैं। वह कहते हैं, क्लास 10 में मेरी पर्सेंटेज 70% थी, इस हिसाब से रिजल्ट अच्छा नहीं रहेगा, क्योंकि 30% वेटेज अकेले क्लास 10 के बोर्ड रिजल्ट के लिए है। कई स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस क्लास 11 से बेहतर होती है। मैं ही नहीं, मेरे कई दोस्तों का यही कहना है। (तस्वीर- कनक गोविल)
एग्जाम दूंगी तो यूनिवर्सिटी में एडमिशन कब होगा?
गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकंडरी एजुकेशन स्कूल, यमुना विहार की स्टूडेंट नेहा वर्मा कहती हैं, क्लास 10 में मेरे नंबर काफी कम थे और क्लास 12 के यूनिट टेस्ट में भी स्कोर अच्छा नहीं था। इस हिसाब से तो मेरा रिजल्ट अच्छा नहीं आएगा। मुझे बाद में एग्जाम देने पड़ेंगे, लेकिन अगर वो भी लेट होते हैं, तो यूनिवर्सिटी में एडमिशन कब होगा? मैं कन्फ्यूजन में हूं। (सांकेतिक तस्वीर)
11वीं खराब लेकिन 12वीं सुधर गए थे
डीएवी स्कूल के स्टूडेंट आरव कहते हैं, इस स्कीम ने मुझे टेंशन दे दिया है, क्योंकि क्लास 11 में मेरा रिजल्ट बहुत खराब था। क्लास 12 में काफी सुधार आया मगर धीरे-धीरे। इस हिसाब में मुझे रिजल्ट का टेंशन है। वहीं, माउंट आबू पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट नमन वोहरा का कहना है, “सीबीएसई ने जो असेसमेंट स्कीम दी है, उसे हमें मानना ही होगा। मगर कई बच्चों की क्लास 10 और 12 की परफॉर्मेंस में बहुत अंतर होता है। क्लास 11 में भी परफॉर्मेंस डाउन जाती है। मैं इस स्कीम से खुश नहीं हूं।” नमन कहते हैं, “क्लास 12 के हमने ऑनलाइन पेपर दिए हैं। सबको पता है कि कोविड के बीच यह सारी प्रोसेस ऑनलाइन हुई है। घर पर बैठकर यह तरीके से नहीं हो पाता। किसी को पता नहीं था कि बोर्ड का रिजल्ट यूनिट टेस्ट, मिड टर्म और प्री बोर्ड के आधार पर बनेगा। मेरे सभी दोस्त इससे खुश नहीं हैं। बाद में एग्जाम का ऑप्शन है, मगर कौन देगा। हम आगे बढ़ चुके हैं, मैं जेईई की तैयारी कर रहा हूं। बाद में यह मुमकिन नहीं होगा।” (तस्वीर- नमन वोहरा)
तीनों क्लास में अच्छे नंबर वालों के लिए ही यह स्कीम ठीक
दरअसल, जिन छात्रों ने हाईस्कूल और 11 वीं के रिजल्ट को हल्के में लिया था और 12 के बोर्ड एग्जाम के लिए मन लगाकर तैयारी कर रहे थे, वो इस असेसमेंट स्कीम से परेशान हैं। 11वीं के रिजल्ट को अक्सर कई छात्र इसलिए हल्के में ले लेते हैं क्योंकि ज्यादातर छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग जॉइंन कर लेते हैं और हाईस्कूल के एग्जाम को लेकर अब लोगों में पहले जैसी गंभीरता नहीं है। इसलिए पूरा फोकस 12वीं के बोर्ड एग्जाम पर रहता है। अंकित गोयल का कहना है कि ये मार्किंग स्कीम उन्हीं के लिए अच्छी है जिनकी तीनों साल अच्छी परफॉर्मेंस रही है। क्लास 10 में मेरे 92% थे मगर क्लास 11 में रिजल्ट 80% पर पहुंच गया। क्लास 12 में सुधार हुआ। अब मेरा रिजल्ट कुछ खास नहीं रहेगा।
इन्हें अच्छी लगी असेसमेंट स्कीम
कुछ स्टूडेंट्स को 12वीं का रिजल्ट तैयार करने का फॉर्म्युला अच्छा लगा है। श्रुति पंवार कहती है, “मुझे असेसमेंट स्कीम अच्छी लगी है। क्लास 10 का स्कोर जोड़ना सही है। क्लास 11, क्लास 12 का फाउंडेशन होती है। जब 12वीं के बोर्ड नहीं हो रहे हैं तो उसके सालभर के एग्जाम अकाउंट करने का ऑप्शन नहीं होता है।” सौम्या रावत ने भी कहा कि उसे क्लास 12 की असेसमेंट स्कीम अच्छी लगी है। उन्होंने कहा, “क्लास 10 में हमने बोर्ड एग्जाम दिए हैं यानी तैयारी की थी। क्लास 11 में भी हमने पढ़ाई की है और क्लास 12में भी बोर्ड की तैयारी की है।” उधर, 12वीं की छात्रा मानसी कहती है, “लंबे समय तक इंतजार करने से अच्छा है कि रिजल्ट आ जाए। कम से कम आगे की पढ़ाई तो समय से शुरु कर सकेंगे। ज्यादातर छात्रों के हिसाब से यह मानक अच्छे हैं। जिन्हें लगता है कि वह इससे बेहतर रिजल्ट ला सकते थे वह बोर्ड एग्जाम दे सकते हैं।”