क्या है परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध वाली नई संधि, भारत समेत 9 देशों ने क्यों नहीं किया समर्थन

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परमाणु हथियारों को दुनिया से खत्म करने के लक्ष्य के साथ एक समझौते को प्रभाव में लाया गया। ये समझौता संयुक्त राष्ट्र की बैनर के नीचे हुआ। यह समझौता जुलाई 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की स्वीकृति पा चुका है। 120 से भी ज्यादा देशों ने इस अपनी सहमति जताई है।

परमाणु हथियार तबाही का दूसरा नाम है जिनके रख-रखाव और इस्तेमाल के साथ जुड़ी है बड़ी जिम्मेदारी भी। यही वजह है कि परमाणु हथियारों की चाभी गिने चुने लोगों के हाथों में होती है। इसके साथ ही ये चिंता भी बनी रहती है कि परमाणु हथियार कभी गलत हाथों में न पड़ जाए। इन सब के बीच परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली सबसे बड़ी संधि प्रभाव में आई है। 120 से ज्यादा देशों ने संयुक्त राष्ट्र की इस संधि को माना है। जिसके बाद इन देशों में परमाणु हथियार बैन हो जाएंगे। हालांकि परमाणु से लैस भारत समेत दुनिया के कई देशों ने इस संधि का विरोध किया है। इस रिपोर्ट के जरिए जानते हैं कि आखिर क्या है ये संधि और भारत ने क्यों जताया विरोध।

क्या है पूरा मामला:

परमाणु हथियारों को दुनिया से खत्म करने के लक्ष्य के साथ एक समझौते को प्रभाव में लाया गया। ये समझौता संयुक्त राष्ट्र की बैनर के नीचे हुआ। यह समझौता जुलाई 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की स्वीकृति पा चुका है। 120 से भी ज्यादा देशों ने इस अपनी सहमति जताई है। इसमें परमाणु हथियारों से लैस 9 देश शामिल नहीं हैं। ये देश हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल। इसके साथ ही 30 देशों का नाटो गठबंधन भी इस समझौते में शामिल नहीं है। इस समझौके को 24 अक्टूबर 2020 को 50वां अनुमोदन प्राप्त हुआ था और यह 22 जनवरी से प्रभावी हुआ।

समझौते का उद्देश्य

हिरोशिमा और नागासाकी जैसी हमले की घटना के दौहराव पर लगाम के इरादे से इस तरह के समझौते को अमल में लाया गया है। गौरतलब है कि अमेरिका ने क्रमश: 6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था। जिसमें लाखों लोग मारे गए थे। हमले के बाद कई लोग रेडियोएक्टिव काली बारिश की चपेट में आ गए थे। लेकिन बावजूद इसके दुनिया एकमात्र परमाणु हमला झेलने वाले देश जापान ने भी इस समझौते का समर्थन नहीं किया है। ये और बात है कि जापान सरकार परमाणु हथियार कभी न विकसित करने के लिए संकल्पबद्ध है।

परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली अब तक की पहली संधि के प्रभावी होने के बीच भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह इस संधि का समर्थन नहीं करता और इससे उत्पन्न किसी भी दायित्व से बाध्य नहीं होगा। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इसे उच्च प्राथमिकता देता है। मंत्रालय ने कहा, जहां तक परमाणु हथियार निषेध संधि का सवाल है तो भारत ने इस संधि पर बातचीत में हिस्सा नहीं लिया और हमने लगातार यह स्पष्ट किया है कि वह संधि का हिस्सा नहीं है।

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