भिलाई। शिक्षा विभाग दुर्ग छत्तीसगढ़ एवं अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी राजसमंद राजस्थान के संयुक्त आयोजक तथा पोरवाल चेरीटेबल ट्रस्ट भिलाई द्वारा आयोजित सात दिवसीय जीवन विज्ञान शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का दिनांक 6 से 13 जनवरी तक का शुभारंभ प्रात: 8 बजे नेहरु नगर स्थित पोरवाल प्रेक्षा भवन में हुआ। इस शिविर में समागत दुर्ग, पाटन एवं धमधा विकासखंड से कुल 62 प्रशिक्षार्थी शिक्षक-शिक्षिकाएं भाग ले रहे है। शिक्षकों को संबोधित करते हुए दुर्ग शिक्षा संभाग के सहायक संचालक सत्यनारायण स्वामी ने कहा कि जीवन विज्ञान सर्वहितकारी है। आज के मानव ने विज्ञान को अपना लिया है। विज्ञान द्वारा प्रदत्त सुख-सुविधाओं को अपना लिया है, परंतु फिर भी जीवन में कुछ अधूरापन लगता है। सुख-सुविधाओं के संपूर्ण साधन होते हुए भी व्यक्ति दुखी दिखाई देता है, आज इसका कारण है जीवन में जीने कीकला का अभाव।
आचार्य महाप्रज्ञ प्रणित जीवन विज्ञान हमें जीवन जीने का व्यवस्थित ज्ञान प्रदान करता है। इसका कारण है जीवन जीने की कला का अभाव।
आचार्य महाप्रज्ञ प्रणित हमें जीवन विज्ञान के रुप में शिक्षा जगत के समक्ष रखा है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से स्वस्थ समाज संरचना के छोटे-छोटे जो सूत्र दिए है। वे न केवल व्यक्ति अपितु परिवार, समाज व राष्ट्रोत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रदत्त ज्ञान के अलख को पांव-पांव चलकर जनमानस में नैतिकता,सदभावना और नशामुक्ति का संदेश देने आचार्य महाश्रमण अहिंसा यात्रा के साथ लगातार देश-विदेश की यात्रा कर समाज को लाभांवित कर रहे है। उन्होने कहा कि जीवन तो सभी जीते है, परंतु जीवन को अपने कर्मो के द्वारा अमिट छाप छोड़ती है उसे दुनिया याद करती है। हमारा सौभाग्य है कि आचार्य महाश्रमण आगामी फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में दुर्ग-भिलाई में पर्दापण कर रहे है। हमें उनके सानिध्य में आध्यात्मिक उत्थान का अवसर भी प्राप्त होगा। उन्होने पोरवाल चेरिटेबल ट्रस्ट एवं अणुव्रत विश्वभारती राजसमंद के प्रति आभार प्रगट करते हुए जीवन विज्ञान प्रशिक्षण हेतु धन्यवाद दिया। इस पर दुर्ग शिक्षा संभाग के संयुक्त संचालक पी.के. पांडे ने उपस्थित सभी शिक्षकों को अनुशासनबद्ध होकर जीवन विज्ञान प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जीवन विज्ञान एक प्रायोगिक विषय है। योग के गुढ रहस्यों एवं प्रयोगों का सरलतम रुप है। इसी प्रकार अणुव्रत समाज सुधार की प्रक्रिया है। उन्होंने आगे कहा कि अणुव्रत और जीवन विज्ञान के व्दारा उत्तम मानव का निर्माण होगा। उन्होंने उपस्थित शिक्षको को शिक्षण अणुव्रत की शपथ दिलवाते हुए उसे जीवन मै उतारने की प्रेरणा दी। पोरवाल चेरिटेबल ट्रस्ट के मुख्य न्यासी दानमल पोरवाल ने अपने स्वागत भाषण में नव वर्ष की शुभकामनाओं को शम्मिलित करते हुए शिक्षकों को पूर्ण मनोयोग से प्रशिक्षण प्राप्त करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का सफल संचालन अणुव्रत विश्व भारती राजसमन्द के जीवन विज्ञान के सहायक निदेशक एवं शिविर के मुख्य प्रशिक्षक हनुमान मल शर्मा ने किया। श्री शर्मा ने बताया कि 13 जनवरी तक चलने वाले इस शिविर में स्थानीय सरस्वती शिशु मन्दिर कैलाशनगर भिलाई के आचार्य कृत कुमार साहू, श्रीमती पूनम, पूनम चौबे का प्रशिक्षण सहयोग प्राप्त हो रहा है।। शिविर व्यवस्थाओं में श्रीमती शोभा पोरवाल,श्रीमती शीतल पोरवाल, सुश्री प्रेक्षा एवं मास्टर प्रत्युश पोरवाल का भी सक्रिय सहयोग प्राप्त हो रहा है।
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