भिलाई। भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजेश बिचपुरिया अब जिलाध्यक्ष बन गए हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने संगठन में यह फेरबदल किया है। इसमे कोई दो मत नहीं कि बिचपुरिया का राजनीतिक जीवन भाजपा के लिए समर्पित रहा है। वे इससे पहले भी जिलाध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं। भाजपा में बृजेश की गिनती स्वभाव से सरल और मिलनसार के रूप में होती है, लेकिन उन्होंने कभी आक्रमक राजनीति नहीं की, जिसके कारण संगठन ने केवल उनका उपयोग ही किया है। प्रदेश में 15 साल तक भाजपा की सरकार रही है, लेकिन बिचपुरिया उपेक्षित ही रहे हैं। अगले साल विधानसभा चुनाव है और ऐसे समय में संगठन में फेरबदल के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
भिलाई जिला भाजपा आज तक गुटबाजी से उबर नहीं है। भाजपा के बड़े नेता सदैव एक-दूसरे की टांग खींचते रहे हैं। जिसका असर चुनाव में पड़ता रहा है और भाजपा को मात खानी पड़ी है। चुनाव के समय खास कर अपने लोगों को उपकृत करने के चक्कर में जमकर खीचतान होती रही है। वैशालीनगर इसका अच्छा उदाहरण है। पिछले चुनाव में यहां से उम्मीदवार को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई, जिसके कारण विद्यारतन भसीन को ही टिकिट मिल गई। भसीन का भाग्य प्रबल होने के कारण वे चुनाव जीत गए। इसका एक कारण कांग्रेस प्रत्याशी अलोकप्रिय होना ही था।
अब भाजपा संगठन में फेरबदल से नए समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं। चुनाव निकट होने से जिलाध्यक्ष बिचपुरिया की पूछपरख बढ़ जाएगी, लेकिन वरिष्ठ नेता प्रेमप्रकाश पांडेय और सांसद सरोज पांडेय की दूरियां इससे कम नहीं होगी और जिलाध्यक्ष बिचपुरिया के लिए इन दोनों नेताओं को एका करना किसी चुनौती से कम नहीं है। प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं होने से इन पांच सालों में जिले में भाजपा का अस्तित्व शून्य जैसा ही रहा है। अब देखना यह है कि जिलाध्यक्ष के रूप में बिजपुरिया जिले में संगठन को कितना मजबूत कर पाते हैं। वैसे चुनाव में यहां के वोटर्स कोई अच्छा विकल्प नहीं होने से कांग्रेस या भाजपा को वोट करते आए हैं। प्रदेश में कांग्रेस सरकार का कार्यकाल किसी तरह बीत रहा है, लेकिन इन पांच सालों में जिले में कांग्रेस का भी कोई मजबूत जनाधार नहीं बन पाया है। इस चुनाव में टिकिट वितरण में थोड़ी सी भी चूक से कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख दलों को चुनाव में इस बार गच्चा खाना पड़ सकता है।