नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए तीन दिन बाद नामांकन शुरू हो जाएंगे। लेकिन, पार्टी का नया अध्यक्ष कौन होगा, यह तस्वीर अभी तक साफ नहीं है। अध्यक्ष पद की दौड़ में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा कई दूसरे कांग्रेस नेता भी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी अध्यक्ष पद नहीं संभालना चाहते हैं? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए तीन साल पीछे जाना होगा। राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने इस्तीफे के साथ चार पेज की चिठ्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव में हार की जिम्मेदारी तय किए जाने की जरूरत है। इसके लिए कई लोग जिम्मेदार हैं, पर अध्यक्ष पद पर रहते हुए वह जिम्मेदारी न लें, यह सही नहीं होगा। ऐसे में राहुल गांधी संगठन में जवाबदेही तय करने के साथ परिवारवाद के आरोपों से भी पार्टी को मुक्त कराना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम नेता कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने लालकिले से भी इस मुद्दे को उठाया था। पार्टी के एक नेता ने कहा कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद संभालकर भाजपा को फिर यह मुद्दा नहीं देना चाहते हैं। इस सबके बावजूद पार्टी अभी भी राहुल गांधी पर अध्यक्ष बनने का दबाव बनाए हुए है। राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे में यह भी लिखा था कि पार्टी का नया अध्यक्ष चुनाव से तय किया जाए। इसलिए उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए किसी का नाम आगे नहीं बढ़ाया था। इस चिठ्ठी के बाद से राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर अपना स्टैंड नहीं बदला है। पार्टी नेता ने कहा कि राहुल गांधी अब अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ते हैं, तो इसे उनकी कथनी और करनी में अंतर के तौर पर देखा जाएगा। इसलिए, वह गैर गांधी अध्यक्ष बनाने पर जोर दे रहे हैं। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं लेने को 2024 से लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि कई विपक्षी दल उनके नेतृत्व पर सहज नहीं होंगे। पार्टी का कोई और वरिष्ठ नेता अध्यक्ष पद संभालता है, तो विपक्षी एकता की संभावना बढ़ जाएगी। वहीं, इससे पार्टी को एकजुट करने में भी मदद मिलेगी। असंतुष्ट खेमा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाता रहा है। आनंद शर्मा कह चुके हैं कि कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर भी सोचने की जरूरत है। गैर गांधी के अध्यक्ष बनने का मौका देने से सकारात्मक संदेश जाएगा। पार्टी वर्ष 2024 के लिए तैयार किए उदयपुर नवसंकल्प में इन मुद्दों को शामिल कर चुकी है। इस सबके बीच पार्टी के कई नेता फिर अध्यक्ष नहीं बनने को उनके व्यक्तित्व से जोड़कर भी देख रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि वह जिम्मेदारी लेने में हमेशा हिचकिचाते रहे हैं। राहुल गांधी वर्ष 2004 में राजनीति में आए। उस वक्त से उन्हें अध्यक्ष बनाने की मांग उठती रही है, पर उन्होंने 2017 में यह पद संभाला। हालांकि, वर्ष 2019 चुनाव में हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था।
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