बेमेतरा,शासकीय कुमारी देवी चौबे कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, साजा में ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) के तहत विकासखंड साजा के अंतर्गत तीन स्व सहायता समूह को एलोवेरा से हर्बल साबुन बनाने का प्रशिक्षण कृषि महाविद्यालय के तत्वाधान में एवं छात्रों की सहभागिता के साथ दिया गया। इस कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती छाया शिंदेे के आग्रह पर महुआ स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती माया साहू के साथ साजा विकासखंड में कार्यरत अन्य स्वसहायता समूह जैसे-राधेकृष्णा, कल्पना सम्मिलित हुए। महाविद्यालय के चतुर्थ वर्ष के छात्रों ने ग्राम मौहाभाठा को इस वर्ष गोद ग्राम के रूप चयन किया है। यह प्रशिक्षण विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट केन्द्र (एन.टी.एफ.पी. एवं एम.ए.पी.) के इंजी. अभिमन्यु कालने के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. ए. के तिवारी, मुख्य अतिथि एवं हेमन्त साहू अध्यक्ष सहकारी समिति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के डॉ. ए. के श्रीवास्तव एवं रावे प्रभारी के दिशा-निर्देशों में संपन्न किया गया। छात्र- छात्राओ द्वारा बताया गया कि एलोवेरा साबुन त्वचा के लिए लाभ दायक है। एलोवेरा त्वचा के लिए मॉइश्चराइजर की तरह काम करता है। त्वचा संबंधित बीमारियों, कील मुंहासों इत्यादि को दूर करने में भी मद्दगार है। यह साबुन हर्बल पदार्थाें से बना होने के कारण त्वचा को किसी तरह का नुकसान नही पहंुचाता। सामान्य तौर पर मिलने वाली साबुन में रासायनों की बहुत अधिक मात्रा प्रयोग होने के कारण कुछ समय पश्चात् त्वचा पर उनका हानिकारक प्रभाव देखा जा सकता है। जबकि हर्बल साबुन हमारी त्वचा के लिए हर तरह से लाभकारी है। इंजी. अभिमन्यु कालने के द्वारा बहुत ही सरल विधि से हर्बल साबुन तैयार करना सिखाया गया। साथ ही उन्होने बताया कि हर्बल साबुन की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए इसका व्यवसाय एक अच्छा विकल्प है। स्व सहायता समूह की महिलाओ हेतु आय का एक अच्छा स्त्रोत होने के साथ-साथ समूह की उन्नति में भी सहायक साबित हो सकता है। सहकारी समिति के अध्यक्ष ने महिलाओं को इस तरह के प्रशिक्षण से अधिक से अधिक लाभ लेने की बात कहीं तथा महाविद्यालय के छात्र- छात्राओ की भागीदारी एवं उनके द्वारा किसानों को दी जा रही जानकारी की सराहना की। प्रशिक्षण के दौरान सभी महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों ने हर्बल साबुन तैयार किए एवं उनका वितरण सभी उपस्थित महिलाओं को किया, साथ ही साथ छात्रों ने भी हर्बल साबुन बनाने की विधि को आजमाया एवं लगभग 50 नग साबुन बनाए जो कि प्रशिक्षण के उपरांत छात्र-छात्राओं में बांटे गए। इस कार्यक्रम के अंत तक किसानों, महिलाओं तथा छात्रों ने भविष्य में आत्मनिर्भरता के साथ व्यवसाय करने की बातें कहीं। कार्यक्रम के अंत में महिला समूहों ने अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय से साबुन बनाने में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आग्रह किया ताकि वे भविष्य में इस तरह की गतिविधियां आत्मनिर्भर होकर संचालित कर सके। कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं का विशेष योगदान रहा।
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