नई दिल्ली । बिहार और झारखंड दोनों राज्य मौसम की मार झेल रहे हैं। मानसून की बेरुखी से बिहार में 38 फीसदी तो झारखंड 26 फीसदी कम बारिश हुई है। इस वजह से दोनों राज्य सूखे के संकट से जूझ रहे हैं। अब तक बिहार में लक्ष्य से 13 फीसदी तो झारखंड में 40 फीसदी रोपनी कम हुई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में अब तक सामान्य स्थिति में 782 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन महज 486 सेंटीमीटर ही बारिश हुई है। सिर्फ दो जिले अररिया और किशनगंज ही ऐसे हैं, जहां तकरीबन सामान्य बारिश हुई है। किशनगंज में सामान्य से एक और अररिया में पांच फीसदी कम बारिश दर्ज की गयी है। शेष 36 जिलों में बारिश बेहद कम हुई है। 10 जिलों में 60 फीसदी तक कम वर्षा हुआ। राज्य में सबसे कम भागलपुर में 63 फीसदी कम बारिश हुई है। इसका प्रतिकूल प्रभाव धान, मक्का समेत अन्य खरीफ फसलों पर पड़ा है। वहीं, झारखंड में 1 जून से 1 सितंबर तक 906 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। यह सामान्य से 26 फीसदी कम है। बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में फिलहाल कृषि विभाग ने यह आकलन नहीं किया है कि रोपनी के बाद धान की कितनी फसल बर्बाद हुई है। बिहार में 35 लाख 12 हजार 23 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य है। अब तक 3055823 हेक्टेयर में ही रोपनी हो पायी। साढ़े चार लाख हेक्टेयर से ज्यादा (13 )रकबा में रोपनी नहीं हुई है। मक्का में चार लाख पांच हजार हेक्टेयर में रोपनी का लक्ष्य था। इसमें तीन लाख 31 हजार हेक्टेयर में ही रोपनी हुई है। उत्तर बिहार के जिलों में धान की पैदावार में 30 से 40 फीसदी तक की कमी आ सकती है। गया में 70 फीसदी ही धान की रोपनी हो पायी है। जबकि कोसी और सीमांचल जिलों में रोपनी का लक्ष्य लगभग पूरा हो गया है। पूर्वी बिहार में किसान बाढ़ और सुखाड़ दोनों झेल रहे हैं। वहीं, झारखंड में करीब छह लाख हेक्टेयर में रोपनी का लक्ष्य था, जबकि अब तक 2.5 लाख हेक्टयेर में धान की रोपनी हुई है।
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