मास्को, यूरोप 16 अगस्त 2022: जब हिंदुस्तान की समूची आवाम आजादी के मौके पर अपने घरों, गली-कूचों पर तिरंगा लहरा रही थी, तब मध्यप्रदेश की एक बेटी ने देश की आन, बान और शान का प्रतीक ‘तिरंगा’ को एक नहीं बल्कि दो ऐसी चोटी पर फहरा दिया जहां की हम और आप कल्पना मात्र कर सकते हैं। एमपी की भावना डेहरिया ने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची दो चोटी माउंट एल्ब्रुस के वेस्ट और 16 अगस्त को ईस्ट शिखर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के गांव तामिया की बेटी एवरेस्टर भावना डेहरिया ने स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर यूरोप महाद्वीप के समुद्र तल से 5642 मीटर (18510 फीट) सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एल्ब्रुस वेस्ट और माउंट एल्ब्रुस ईस्ट 5621 मीटर (18,442 फीट) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की और तिरंगा लहराकर देश की आजादी का जश्न मनाया। 30 साल की पर्वतारोही भावना डेहरिया 15 महीने की बेटी की मां हैं और बेटी के जन्म के बाद भावना का यह पहला पर्वतारोहण अभियान था। भावना के लिए यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। भावना बताती हैं कि यूरोप महाद्वीप के सबसे ऊंची दोनों चोटियों को फतह करने के लिए वे अपनी टीम के साथ 10 अगस्त को रूस की राजधानी मॉस्को से मिनरलनी वोडी शहर पहुंचीं, जहां से वे सभी टर्सकोल के लिए रवाना हुए। दूसरे दिन, 11 अगस्त को जलवायु-अनुकूलन रोटेशन के दौरान जब भावना 2346 मीटर ऊंचाई पर पहुंचीं तो उनकी नाक में से खून निकलने लगा पर उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखी। 12 अगस्त को उन्होंने अपने दल के साथ 3888 मीटर की ऊंचाई पर अपना बेस कैंप बनाया और अगले दो दिन 4500 मीटर तक रोटेशन किए। बता दें कि यह रोटेशन शरीर को वायु दबाव के परिवर्तन और एक्यूट माउंटेन सिकनेस से बचाव के लिए जरुरी होता है। भावना ने बताया कि ‘माउंट एल्ब्रुस चोटी की असली चढ़ाई 14 अगस्त की रात को शुरु हुई और 15 अगस्त को सुबह 5:30 बजे 5642 मीटर (18510 फीट) ऊंची माउंट एल्ब्रुस वेस्ट की चोटी पर सम्मिट कर मैंने तिरंगा लहराया। यह समिट करने के बाद, नींद पूरी नहीं होने की वजह से मुझे डिहाइड्रेशन और मेरी टीम के कुछ लोगों की तबीयत थोड़ी खराब हो गई थी, लेकिन हमने सोच लिया था कि माउंट एल्ब्रुस ईस्ट शिखर पर भी हमें पहुंचना है और उसी 24 घंटे के भीतर ही हमने 5621 मीटर (18,442 फीट) ऊंचे यूरोप महाद्वीप के दूसरे सबसे ऊँचे शिखर माउंट एल्ब्रुस ईस्ट पर 16 अगस्त की सुबह लोकल टाइम 4:23 बजे समिट किया। ये बेहद ही मुश्किल और शरीर को थका देने वाला मिशन था। दोनों शिखरों के नजदीक तापमान -25 से -35 डिग्री तक पहुंचने के साथ ही ठंडी हवा की रफ्तार भी 35 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ जाती थी जिसके बाद हालत खराब होने लगती थी, हांथो की उंगलियां पूरी जम गयी थी। पूर्वी शिखर पर जाने के दौरान उंगलियां सुन्न हो जाने के कारण मुझे फ्रोजन बाईट होने का डर था। हालांकि, माउंट एल्ब्रुस जाने से पहले अपनी बेटी के जन्म के बाद तामिया के पर्वतीय क्षेत्र में जो मैंने ट्रेनिंग की थी, इससे मुझे रिकॉर्ड टाइम में समिट कर पाने में बहुत मदद मिली। इस अभियान में मैं मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग के लिए भी शुक्रगुजार हूं’। भावना के साथ दोनों शिखर समिट करने वाले इस दल में विश्वनाथ कार्तिकेय पदाकांति, मनमोहन रावत, प्रदीप गहलोत, गुलशन ठाकुर, मुरिकी पुलकिता हसवी,अंकिता गुप्ता और रीना भट्टी शामिल थे। यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस के दोनों शिखरों पर फतह हासिल करने वाला यह पहला भारतीय पर्वतारोही दल है। बता दें कि भावना 22 मई 2019 को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर फतेह हासिल करने वाली मध्यप्रदेश की प्रथम महिलाओं में से एक हैं। उन्होंने वर्ष 2019 में दीपावली के दिन अफ्रीका महाद्वीप का माउंट किलिमंजारो और होली के दिन ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप का माउंट कोज़िअस्को के सबसे ऊंचे शिखर पर भी फतह हासिल कर भारत का परचम दुनिया में लहराया था। पर्वतारोहण के क्षेत्र में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर भावना सातों महाद्वीपों के सबसे ऊंचे शिखरों पर तिरंगा फहराने के लिए अग्रसर हैं और तैयारी कर रहीं हैं। अभी तक उन्होंने पांच महाद्वीपों के सबसे ऊंचे शिखरों पर समिट पूरा कर लिया है।
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