दक्षिणापथ। पीलिया एक प्रकार का रोग है, जो कि लिवर में होता है। इस रोग के कारण त्वचा का रंग, श्लेष्मा झिल्ली और आंखों का रंग पीला हो जाता हैं। वहीं, इससे ग्रस्त व्यक्ति मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से कमजोर महसूस करता है। हालांकि, कुछ योगासनों के नियमित अभ्यास से इस रोग के जोखिमों को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। आइए आज आपको ऐसे ही योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं।
नौकासन
नौकासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर श्वासन की मुद्रा में लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों पैरों के पंजों को आपस जोड़ते हुए उन्हें 45 डिग्री तक सांस भरते हुए उठा लें। अब अपने दोनों हाथों को कंधे की सीध में उठाते हुए घुटनों की तरफ एकदम सीधा रखें। इसी अवस्था में अपने सिर और पीठ को भी उठाएं और नाव का आकार ले लें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे योगासन को छोड़ें।
बद्ध पद्मासन
इस योगासन के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और यह सुनिश्चित करें कि इस दौरान पैर के पंजे जांघों से बाहर की ओर निकलकर दोनों ओर से कमर को छू रहे हों। अब बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लाते हुए दाएं पैर के अंगूठे को पकड़े और दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें। कुछ क्षण इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
धनुरासन
धनुरासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने दोनों घुटनों को अपनी कमर की तरफ से मोड़े और हाथों से टखनों को मजबूती से पकड़ लें। इसके बाद सांस लेते हुए अपने पूरी शरीर को इस प्रकार ऊपर उठाने की कोशिश करें कि शरीर का आकार धनुष के समान लगे। इस दौरान अपनी क्षमतानुसार मुद्रा में बने रहकर धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें। कुछ सेकेंड बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
सर्वांगासन
सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को शरीर से सटाकर सीधा कर लें। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पैरों, कूल्हों और कमर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। इसके साथ ही हाथों से कमर को सहारा देते हुए कोहनियों को जमीन से सटा लें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें और धीरे-धीरे वापस अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं। नियमित रूप से इस योगासन का कुछ मिनट अभ्यास जरूर करें।

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