दुर्ग में अब बिना चीरफाड़ आधुनिक मशीन से हृदय रोगियों का ईलाज हो सकेगा : डॉ ताम्रकार

by sadmin

अपनी दिनचर्या में छोटी-छोटी बदलाव लाकर हार्ट ब्लाकेज से बच सकते है

दक्षिणापथ, दुर्ग । डॉ. शेखर ताम्रकार EECP & LIFE STYEL EXPERT व सुमित आहूजा ने कहा कि चलित स्पंदन हार्ट केयर उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो हृदय रोग से ग्रसित है , जिन्हें बायपास सर्जरी व एंजियोप्लास्टी की सलाह दी गई है या सर्जरी के बाद भी हार्ट की समस्या बनी हुई है ।
डॉ शेखर ताम्रकार ने बताया कि की संस्था का उद्देश्य है कि देश में कोई भी व्यक्ति को हार्ट ब्लॉकेज की समस्या न हो जिसके लिए वह ब्लॉकेज से बचने के उपाय व जिन्हें ब्लॉकेज हो गया है उनके लिए बिना चिरफाड् के आधुनिक चिकित्सा तकनीक के बारे में बताये जो कि देश विदेश में अभी तक चल रहा था अब भारत मे भी इसका चलन आ रहा है । इसी को मद्दे नजर रखते हुए दुर्ग शहर में भी आधुनिक मशीन द्वारा हार्ट के मरीजों का बिना भर्ती बिना चिर फाड् बिना दर्द के इलाज अब हो सकेगा । डॉ ताम्रकार ने बताया कि स्पंदन हार्ट केयर सेंटर दुर्ग द्वारा मुख्यत: 3 तकनीक का इस्तमाल किया जाता है । जिसमे …
EECP तकनीक-
EECP मशीन US-FDA प्रमाणित अमेरिकन मशीन है जिसके द्वारा ब्लॉकड धमनियों के आसपास नई छोटी धमनियों ( कोलेटरल सर्कुलेशन ) का विकास करना, जिससे भविष्य मे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
ACT आर्टरी क्लिनिंग थैरेपी-
इस प्रक्रिया द्वारा धमनियों में जमे वसा- चर्बी से बने ब्लॉकेज को केमिकल के द्वारा गला कर शरीर से बाहर निकाला जाता है ।
HHL हेल्दी हार्ट लाइफ स्टाइल-
उन्होने बताया कि हार्ट बलॉकेज का कारण है अनियंत्रित जीवन शैली। मॉंस- मछली का अत्यधिक सेवन, तेल- वसा का अत्यधिक सेवन, धूम्रपान- शराब का सेवन, योग-व्यायाम का ना करना, अत्यधिक तनाव पूर्ण जीवन इत्यादी हार्ट ब्लॉकेज के मुख्य कारण है। इन कारणो को पहचानना और इन्हे नियंत्रित करना स्पंदन हार्ट केयर सेंटर में सिखाया जाता है।
डॉ शेखर ताम्रकार ने बताया कि यदि व्यक्ति अपनी दिनचर्या में छोटी छोटी बदलाव लाकर हार्ट ब्लॉकेज से बच सकते जैसे एनिमल प्रोडक्ट,डेरी प्रोडक्ट,आयल,स्ट्रेस,अल्कोहल,धूम्रपान, को छोड़ दे व अपनी दिनचर्या में प्रतिदिन केवल 35-50 मिंनट पैदल चले 10 -20 मीनट मैडिटेशन करे, ग्रीन vegitable हरि पत्तेदार सब्जियां को जीरो आयल कुकिंग कर का सेवन करे तो व्यक्ति के हार्ट में ब्लॉकेज बनने के खतरे कम हो जाते है। उनका उम्र दराज होने पर भी चलने दौड़ाने में परेशानी नही होती।

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