कारगिल युद्ध स्मृति विशेष: आज के ही दिन गूंजा था विजय या वीरगति का नारा, फतह की थी तोलोलिंग चोटी

by sadmin

कारगिल युद्ध के दौरान पहली चोटी तोलोलिंग और सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराने का सौभाग्य हिमाचल के मंडी जिले के नगवाईं के खुशाल ठाकुर और उनकी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को प्राप्त हुआ था।

दक्षिणापथ.नईदिल्ली। साल 1999 को हुए कारगिल युद्ध के दौरान आज ही के दिन यानी 13 जून को युद्ध का एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट था। कारगिल को पाकिस्तान से छुड़ाने के लिए 22 साल पहले तोलोलिंग चोटी फतह करने के अभियान में विजय या वीरगति का नारा गूंजा था और इस बेहद कठिन चोटी पर भारतीय सेना ने कब्जा किया था। इस जीत ने युद्ध का पासा पलट दिया था और भारतीय सेना की झोली में आ गया था। पहली चोटी तोलोलिंग और सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल पर विजय पताका फहराने का सौभाग्य हिमाचल के मंडी जिले के नगवाईं के खुशाल ठाकुर और उनकी यूनिट 18 ग्रेनेडियर को प्राप्त हुआ था।

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (सेवानिवृत्त) अपनी स्मृतियों के पन्नों को पलटते आज भी इस अभियान को नहीं भूल पाते। उन्होंने बताया कि अपनी यूनिट के साथ कश्मीर घाटी में आतंकवाद से लड़ रहे थे। उनकी यूनिट को तुरंत ही कारगिल बुलाकर तोलोलिंग फतह करने के अभियान में लगा दिया गया। वे भूल नहीं पाते कि वे किस प्रकार इस लड़ाई में उनके नेतृत्व में 18 ग्रेनेडियर के बहादुरों ने कैसे अपना लोहा मनवाया था। तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करने की कोशिश में 18 ग्रेनेडियर के 4 अधिकारियों सहित 25 जवान शहीद हुए। राजपूताना राइफल्ज के 3 अधिकारियों सहित 10 जवान शहीद हुए।

कारण स्पष्ट था, ऊपर चोटी पर बैठा दुश्मन सेना की हर हरकत पर नजर रखे हुए था और बड़ी आसानी से इस अभियान को नुकसान पहुंचाता रहा। सबसे पहले मेजर राजेश अधिकारी शहीद हुए। एक बड़े नुकसान के बाद कर्नल खुशाल ठाकुर ने स्वयं मोर्चा संभालने की ठानी और अभियान को सफल बनाया। 13 जून 1999 की रात को 18 ग्रेनेडियर व 2 राजपूताना राइफल्ज ने 24 दिन के रात-दिन संघर्ष के बाद तोलोलिंग पर कब्जा किया, परंतु तोलोलिंग की सफलता बहुत महंगी साबित हुई। इस संघर्ष में लेफ्टिनेंट कर्नल विश्वनाथन बुरी तरह घायल हुए और अंतत: कर्नल खुशाल ठाकुर की गोद में प्राण त्याग कर वीरगति को प्राप्त हुए।

भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने इस विजय और ऐतिहासिक अभियान के लिए 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता सम्मानों से नवाजा, जोकि भारत के सैन्य इतिहास में एक रिकॉर्ड है। हवलदार योगेंद्र यादव को देश के सर्वोच्च वीरता सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2 महावीर चक्र, 6 वीर चक्र, 1 शौर्य चक्र, 19 सेना पदक और दूसरे वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया। साथ ही कारगिल थियेटर ऑनर और टाइगर हिल व तोलोलिंग बैटल ऑनर 18 ग्रेनेडियर को दिए गए। कर्नल खुशाल ठाकुर को युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया।

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