वित्तीय संकट की वजह से व्यापारियों को कर्मचारियों की छंटनी करने पर होना पड़ेगा मजबूर
दक्षिणापथ, दुर्ग।कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बड़जात्या, एमएसएमई प्रभारी मोहम्मद अली हिरानी, प्रदेश मीड़िया प्रभारी संजय चौबे, दुर्ग जिला इकाई अध्यक्ष प्रहलाद रूंगटा, अमर कोटवानी, आशीष नीमजे, रवि केवलतानी ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा है की कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण देश के लगभग सभी राज्यों में हुए लॉकडाउन ने पिछले 60 दिनों में भारत के घरेलू व्यापार को लगभग 15 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान पहुंचाया है। इस सन्दर्भ में आज कैट के प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने कहा की बेहद गंभीर वित्तीय संकट के चलते देश भर के व्यापारी पहली बार अपने कर्मचारियों की संख्या को कम करने पर विचार कर रहे हैं जिसमें अनेक प्रकार के मासिक एस्टैब्लिशमेंट एवं ओवरहेड खर्चों में कटौती सहित कर्मचारियों की छंटनी करना भी शामिल है । पिछले वर्ष और इस वर्ष लॉक डाउन के कारण व्यापार में बेहद कमी, मेडिकल खर्चों में अप्रत्याशित वृद्धि और आय के सभी स्रोतों के बंद हो जाने से व्यापारी अब मासिक खर्चों की क्षमता को वहन कर पाने की स्तिथि में नहीं है । यदि ऐसा होता है तो यह बेरोजगारी के आंकड़ों में वृद्धि करेगा खासकर जब भारत में खुदरा व्यापार को प्रच्छन्न रोजगार का एकमात्र स्रोत कहा जाता है वहीं यह क्षेत्र भारत में स्वरोजगार करने को सबसे ज्यादा बढ़ावा देता है।
चौबे ने बताया की देश के अधिकांश राज्यों में कैट की राज्य स्तरीय कमेटी तथा अन्य अनेक प्रदेश स्तरीय प्रमुख व्यापारी संगठनों से प्राप्त जानकारी के आधार पर पिछले दो महीने में कोरोना के कारण देश के आंतरिक व्यापार को लगभग 15 लाख करोड़ के व्यापार का नुक्सान हुआ है, जो काफी बड़ा नुकसान है। देश में प्रति वर्ष लगभग 115 लाख करोड़ का घरेलू व्यापार होता है। देश में लगभग 8 करोड़ छोटे व्यवसाय हैं जो व्यापारिक गतिविधियों में शामिल हैं जो लगभग 40 करोड़ लोगों को आजीविका देते हैं वहीं दूसरी तरफ विभिन्न अन्य वर्गों के लाखों लोग अपनी आजीविका कमाने के लिए व्यापारिक समुदाय पर निर्भर हैं।
चौंबे ने कहा कि विगत दो महीने में लगभग रु. 15 लाख करोड़ के कारोबारी नुक्सान में खुदरा व्यापार को लगभग 9 लाख करोड़ तथा थोक व्यापार को लगभग 6 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। यह भी उल्लेखनीय है कि देश में लाखों लोग अनौपचारिक व्यापार में व्यावसायिक गतिविधियाँ चला कर अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं और लॉक डाउन के कारण दुकानों और बाजारों के बंद होने से उन्हें भारी व्यापारिक नुकसान भी हुआ है और इसी तरह लाखों कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिक, जिन्हें ष्कारीगरष् के रूप में जाना जाता है और जो घरों में माल को तैयार कर व्यापारियों को बेचते हैं, को भी दुकानों और बाजारों के बंद होने के कारण रोजी रोटी का बड़ा नुक्सान सहना पड़ रहा है।
चौबे ने कहा कि इस बार कोरोना के कारण उपजे वित्तीय संकट ने देश के व्यापारियों की कमर तोड़ कर रख दी है और न चाहते हुए भी देश भर में व्यापारियों को अपने 30 से 40 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी करने पर गंभीरता से विचार करना पड़ रहा है क्योंकि अब व्यापारी उनको और अधिक समय तक वेतन नहीं दे पाएंगे । उन्होनें कहा की व्यापारियों के पास जो भी बचत थी वो उन्होंने पिछले साल के लॉकडाउन में उपयोग कर अपने अस्तित्व को बनाये रखा और जब देश का घरेलू व्यापार ठीक होने के कगार पर था, व्यापार पर कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर का हमला हुआ और अब व्यापारी बड़े पैमाने पर अपनी पूंजी खा रहे हैं। संजय चौबे ने कहा कि आर्थिक सिद्धांतों ने हमें सिखाया है कि ष्जब आप अपने व्यवसाय में पूंजी खाना शुरू करते हैं, तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि आपका व्यवसाय पतन के रास्ते पर है और तत्काल निवारक कार्रवाई की आवश्यकता हैष्। इसलिए देश भर के व्यापारियों के पास अनिच्छा से कार्यबल को कम करने सहित व्यावसायिक खर्चों में कटौती करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।
संजय चौबे ने कहा की देश भर का व्यापारिक समुदाय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं क्योंकि देश भर में व्यापारिक समुदाय प्रधानमंत्री श्री मोदी को छोटे व्यवसाय का चैंपियन मानते हैं। कैट ने प्रधानमंत्री श्री मोदी से अनुरोध किया है की व्यावसायिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए व्यापारियों को एक समग्र वित्तीय पैकेज दें। संजय चौबे ने कहा की हम अन्य वर्ग की तरह कोई कर्ज माफी नहीं मांग रहे हैं बल्कि हमारा आग्रह केंद्र सरकार से व्यापार बहाल करने के लिए समर्थन नीतियां, वैधानिक प्रावधानों के पालन में कुछ समय के लिए अस्थायी छूट और व्यापारियों को बैंकों से कम ब्याज दर पर आसान तरीके से ऋण का उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा की इस तरह के पैकेज को तैयार करते समय सरकार को व्यापारियों से सलाह-मशवरा अवश्य करना होगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लॉकडाउन की अवधि के दौरान घोषित विभिन्न पैकेजों में देश के व्यापारियों को एक रुपया भी आवंटित नहीं किया गया था जबकि देश भर के व्यापारियों ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को कुशलतापूर्वक बनाए रखते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। देश भर में यहां तक कि कोविड-19 से संक्रमित होने का जोखिम सहते हए भी व्यापारियों ने आपूर्ति श्रंखला को बनाये रखा ।