देहरादून । कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच बैसाखी और मेष संक्रांति के पर्व पर महाकुंभ के तीसरे और मुख्य शाही स्नान में बुधवार को अखाड़ों के साधु संतों ने मुख्य स्नान घाट हर की पैड़ी पर उत्साह के साथ गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। पवित्र स्नान पर्व पर हरिद्वार और ऋषिकेश के विभिन्न गंगा घाटों पर आम श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर कुंभ का पुण्य लाभ कमाया। एक अनुमान के अनुसार इस अवसर पर 35 लाख से अधिक लोगों ने स्नान किया।
शाही स्नान के दौरान महाकुंभ मेले की व्यवस्था की स्वयं निगरानी कर रहे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में सुचारू ढंग से स्नान संपन्न हुआ। उन्होंने बताया कि दोपहर 12 बजे तक करीब आठ-दस लाख लोगों ने गंगा में डुबकी लगा ली थी। तड़के शुरू हुआ स्नान का क्रम देर शाम तक जारी रहा। सबसे पहले निरंजनी अखाड़े के साधु संत और नगा संन्यासी अपने महामंडलेश्वर आचार्य कैलाशानंद गिरी की अगुवाई में स्नान के लिए ब्रह्मकुंड पहुंचे, जहां उन्होंने अपने इष्टदेवों के साथ नदी में डुबकी लगाई। निरंजनी अखाड़े के साथ ही आनंद अखाड़े के संतों ने भी स्नान किया। इसके बाद जूना अखाड़ा के साधु-संन्यासियों ने स्नान किया। सबसे ज्यादा नगा संन्यासियों वाले इस अखाड़े के साधु संत अपने महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद के नेतृत्व में गंगा स्नान के लिए पहुंचे।
जूना अखाड़ा के बाद महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े संत शाही स्नान के लिए पहुंचे और अपने इष्टदेवों के साथ गंगा में डुबकी लगाई। इससे पहले, सुबह सात बजे मेला प्रशासन ने मुख्य स्नान घाट हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड को पूरा खाली करा लिया, जिससे कि पूरे दिन यहां सभी 13 अखाड़ों से जुड़े साधु संत शाही स्नान कर सकें। शाही स्नान के दौरान पुलिसकर्मी जगह-जगह लोगों को मास्क बांटते और उन्हें हाथों को सैनिटाइज करने की सलाह देते नजर आए।
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